प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को एक्सियम मिशन 4 पर गए भारतीय एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला से वीडियो कॉल पर बातचीत की। प्राइम मिनिस्टर ऑफिस ने 5.49 पर इस बातचीत का वीडियो जारी किया। दोनों के बीच करीब 18 मिनट बातचीत हुई। प्रधानमंत्री मोदी ने शुभांशु शुक्ला से पूछा कि आप गाजर का हलवा लेकर इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन गए हैं। क्या आपने अपने साथियों को खिलाया। इस पर शुभांशु ने कहा कि हां साथियों के साथ बैठकर खाया। भारतीय वायु सेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु दो दिन पहले 28 घंटे के सफर के बाद 26 जून की शाम 4.01 बजे इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पहुंचे थे। वे 41 साल बाद स्पेस में जाने वाले भारतीय हैं। वे एक्सियम मिशन 4 के तहत 25 जून को दोपहर करीब 12 बजे सभी एस्ट्रोनॉट के साथ ISS के लिए रवाना हुए थे। स्पेसएक्स के फाल्कन-9 रॉकेट से जुड़े ड्रैगन कैप्सूल में इन्होंने कैनेडी स्पेस सेंटर से उड़ान भरी। ये मिशन तकनीकी खराबी और मौसमी दिक्कतों के कारण 6 बार टाला गया था।
पीएम मोदी और शुभांशु शुक्ला की पूरी बातचीत… प्रधानंत्री- आज आप हमारी मातृभूमि से दूर हैं, लेकिन आप भारतीयों के दिलों के सबसे करीब हैं। आपके नाम में भी शुभ है और आपकी यात्रा नए युग का शुभारंभ भी है। इस समय सिर्फ हम दोनों ही बात कर रहे हैं, लेकिन 140 करोड़ भारतीयों की भावनाएं भी मेरे साथ हैं। मेरी आवाज में सभी भारतीयों का उत्साह और उमंग है। मैं आपको अंतरिक्ष में हमारा झंडा फहराने के लिए हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देता हूं। क्या वहां सब ठीक है? क्या आप ठीक हैं?
शुभांशु- पीएम मोदी आपकी और 140 करोड़ भारतीयों की शुभकामनाओं के लिए धन्यवाद। मैं यहां ठीक और सुरक्षित हूं। मुझे बहुत अच्छा लग रहा है, यह एक नया अनुभव है। यह यात्रा सिर्फ मेरी नहीं बल्कि पूरे देश की यात्रा है। आपके नेतृत्व में आज का भारत अपने सपनों को पूरा करने के लिए कई मौके देता है। मैं यहां भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए बहुत गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं। प्रधानमंत्री- आप जो गाजर का हलवा ले गए हैं, क्या उसे अपने साथियों को खिलाया है। शुभांशु- हां, मैं गाजर का हलवा, मूंग दाल का हलवा और आम रस लाया। मैं चाहता था कि दूसरे देशों से मेरे साथ आए सभी लोग समृद्ध भारतीय पाककला का आनंद लें। हम सभी ने इसे एक साथ खाया और सभी को यह पसंद आया। प्रधानमंत्री- आपको पृथ्वी माता की परिक्रमा का मौका मिला है, आप अभी कहां हैं? शुभांशु- हम 16 बार परिक्रमा करते हैं, 16 सनराइज और 16 सनसेट देखते हैं। 28 हजार किमी/घंटे की रफ्तार से चलते हैं। यह गति दिखाती है कि हमारा देश कितनी गति से आगे चल रहा है। प्रधानमंत्री- पहला विचार क्या आया था? शुभांशु- पहला व्यू पृथ्वी का था। इसे देखकर पहला ख्याल ये आया कि पृथ्वी एक जैसी है। बाहर से सीमा रेखा, कोई बॉर्डर नहीं दिखता। भारत को देखा तो वो बहुत भव्य और बड़ा दिखता है। अनेकता में एकता दिखती है पृथ्वी की। पृथ्वी हमारा घर है और हम सब एक हैं। प्रधानमंत्री- आप वास्तविक स्थिति में हैं, वहां की परिस्थितियां कितनी अलग हैं? शुभांशु- यहां सब कुछ अलग है। हमने एक साल तक ट्रेनिंग की और अलग-अलग सिस्टम के बारे में सीखा, लेकिन यहां आने के बाद सब कुछ बदल गया। यहां छोटी-छोटी चीजें भी अलग हैं क्योंकि अंतरिक्ष में ग्रेविटी नहीं है। यहां माइक्रो ग्रेविटी है। यहां सोना एक बड़ी चुनौती है। इस माहौल में ढलने में थोड़ा समय लगता है। छोटी-छोटी चीजें मायने रखती हैं। आप से बात करते वक्त मैंने अपने पैरों को बांध रखा है। नहीं तो मैं उड़ जाता। एंट्री के बाद शुभांशु ने ISS क्रू मेंबर्स से गले मिले ISS पर 14 दिन रहेंगे शुभांशु, डेटा जुटाएंगे शुभांशु इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में 14 दिनों तक रहेंगे और 7 प्रयोग करेंगे, जो भारतीय शिक्षण संस्थानों ने तैयार किए हैं। इनमें ज्यादातर बायोलॉजिकल स्टडीज होंगी, जैसे कि अंतरिक्ष में मानव स्वास्थ्य और जीवों पर असर देखना। वे NASA के साथ 5 और प्रयोग करेंगे, जिसमें लंबे अंतरिक्ष मिशनों के लिए डेटा जुटाएंगे। इस मिशन में किए गए प्रयोग भारत के गगनयान मिशन को मजबूत करेंगे। शुभांशु ने कहा था- मेरी किस्मत ISS पर वेलकम सेरेमनी में शुभांशु ने कहा था- ये मेरी किस्मत है कि मैं उन चंद लोगों में शामिल हो सका, जिन्होंने स्पेस स्टेशन से पृथ्वी का नजारा देखा।आपके प्यार और आशिर्वाद से मैं इंटरनेशनल स्पेस सेंटर पर पहुंचा हूं। यहां खड़ा होना बहुत आसान दिख रहा है, लेकिन ये सब काफी मुश्किल है। उन्होंने कहा था कि मेरा सर भारी है और थोड़ी तकलीफ हो रही है। लेकिन ये सब बहुत छोटी चीजें हैं, कुछ ही दिनों में हमें इसकी आदत हो जाएगी। 26 जून की दोपहर स्पेसक्राफ्ट से लाइव बातचीत में शुभांशु ने कहा था- नमस्कार फ्रॉम स्पेस! यहां एक बच्चे की तरह सीख रहा हूं… अंतरिक्ष में चलना और खाना कैसे है।” मिशन की 4 तस्वीरें… स्पेसक्राफ्ट से शुभांशु का पूरा मैसेज… नमस्ते फ्रॉम स्पेस! मैं अपने साथी अंतरिक्ष यात्रियों के साथ यहां आकर बहुत उत्साहित हूं। सच कहूं तो, जब मैं कल लॉन्चपैड पर कैप्सूल में बैठा था। 30 दिन के क्वारंटाइन के बाद, मैं बस यही चाहता था कि अब चल पड़ें। लेकिन जब यात्रा शुरू हुई, तो ऐसा लगा जैसे आपको सीट में पीछे धकेला जा रहा हो। यह एक अद्भुत राइड थी.. और फिर अचानक सब कुछ शांत हो गया। आपने बेल्ट खोली और आप वैक्यूम की शांति में तैर रहे थे। मैं हर उस व्यक्ति को धन्यवाद देना चाहता हूं, जो इस यात्रा का हिस्सा रहा है। मैं समझता हूं कि यह कोई व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, यह आप सभी की सामूहिक उपलब्धि है, जो इस यात्रा का हिस्सा रहे हैं। मैं आप सभी को दिल से धन्यवाद देना चाहता हूं। परिवार और दोस्तों को भी.. आपका समर्थन बहुत मायने रखता है। यह सब आप सभी की वजह से संभव हुआ है। हमने आपको जोय और ग्रेस दिखाए। यह हंस है, एक बहुत ही महत्वपूर्ण प्रतीक। यह बहुत प्यारा लगता है, लेकिन हमारे भारतीय संस्कृति में हंस बुद्धिमत्ता का प्रतीक है। मुझे लगता है कि पोलैंड, हंगरी और भारत में भी इसका प्रतीकात्मक महत्व है। यह संयोग जैसा लग सकता है, लेकिन ऐसा नहीं है। इसका इससे कहीं ज़्यादा अर्थ है। जब हम वैक्यूम में लॉन्च हुए, तब मुझे बहुत अच्छा नहीं लग रहा था, लेकिन कल से मुझे बताया गया है कि मैं बहुत सोया हूं, जो एक अच्छा संकेत है। मुझे लगता है कि यह एक शानदार संकेत है। मैं इस माहौल में अच्छी तरह से ढल रहा हूं। दृश्यों का आनंद ले रहा हूं, पूरे अनुभव का आनंद ले रहा हूं। एक बच्चे की तरह सीख रहा हूं- नए कदम, चलना, खुद को नियंत्रित करना, खाना, सब कुछ। यह एक नया वातावरण है, नई चुनौती है, और मैं अपने साथी अंतरिक्ष यात्रियों के साथ इस अनुभव का बहुत आनंद ले रहा हूं। गलतियां करना ठीक है, लेकिन किसी और को गलती करते देखना और भी बेहतर है। यहां ऊपर बहुत मजेदार समय रहा है। बस इतना ही कहना चाहता हूं। आप सभी को इसे संभव बनाने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। मुझे यकीन है कि हम यहां बहुत अच्छा समय बिताएंगे। लॉन्चिंग के तुरंत बाद शुभांशु ने कहा था… मिशन के पहले दिन की 3 तस्वीरें… 41 साल बाद कोई भारतीय एस्ट्रोनॉट अंतरिक्ष में गया अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा और भारतीय एजेंसी इसरो के बीच हुए एग्रीमेंट के तहत भारतीय वायु सेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला को इस मिशन के लिए चुना गया है। शुभांशु इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर जाने वाले पहले और स्पेस में जाने वाले दूसरे भारतीय हैं। इससे 41 साल पहले राकेश शर्मा ने 1984 में सोवियत यूनियन के स्पेसक्राफ्ट से अंतरिक्ष यात्रा की थी। शुभांशु का ये अनुभव भारत के गगनयान मिशन में काम आएगा। ये भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन है, जिसका उद्देश्य भारतीय गगनयात्रियों को पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजना और सुरक्षित रूप से वापस लाना है। इसके 2027 में लॉन्च होने की संभावना है। भारत में एस्ट्रोनॉट को गगनयात्री कहा जाता है। इसी तरह रूस में कॉस्मोनॉट और चीन में ताइकोनॉट कहते हैं। 6 बार टाला गया एक्सियम-4 मिशन मिशन का उद्देश्य: स्पेस स्टेशन बनाने की प्लानिंग का हिस्सा Ax-4 मिशन का मुख्य उद्देश्य अंतरिक्ष में रिसर्च करना और नई टेक्नोलॉजी को टेस्ट करना है। ये मिशन प्राइवेट स्पेस ट्रैवल को बढ़ावा देने के लिए भी है और एक्सियम स्पेस प्लानिंग का हिस्सा है, जिसमें भविष्य में एक कॉमर्शियल स्पेस स्टेशन (एक्सियम स्टेशन) बनाने की योजना है। अब 6 जरूरी सवालों के जवाब: सवाल 1: कौन हैं शुभांशु शुक्ला? जवाब: शुभांशु का जन्म 1986 में उत्तर प्रदेश के लखनऊ में हुआ था। उन्होंने अपनी पढ़ाई राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA) से की। वह 2006 में वायु सेना में शामिल हुए और फाइटर जेट उड़ाने का अनुभव रखते हैं। उन्हें ISRO के गगनयान मिशन के लिए भी चुना गया है, जो भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन है। अंतरिक्ष यात्री बनने के लिए उन्होंने रूस और अमेरिका में खास ट्रेनिंग ली। इसमें उन्होंने माइक्रोग्रैविटी में काम करना, इमरजेंसी हैंडलिंग और वैज्ञानिक प्रयोग सीखे। शुभांशु की पूरी प्रोफाइल पढ़े… सवाल 2: शुभांशु ISS पर क्या करेंगे? जवाब: शुभांशु वहां 14 दिनों तक रहेंगे और 7 प्रयोग करेंगे, जो भारतीय शिक्षण संस्थानों ने तैयार किए हैं। इनमें ज्यादातर बायोलॉजिकल स्टडीज होंगी, जैसे कि अंतरिक्ष में मानव स्वास्थ्य और जीवों पर असर देखना। इसके अलावा वो NASA के साथ 5 और प्रयोग करेंगे, जिसमें लंबे अंतरिक्ष मिशनों के लिए डेटा जुटाएंगे। इस मिशन में किए गए प्रयोग भारत के गगनयान मिशन को मजबूत करेंगे। स्पेस स्टेशन पहुंचने के बाद शुभांशु की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बातचीत करने की उम्मीद भी है। सवाल 3: शुभांशु अंतरिक्ष में अपने साथ क्या-क्या ले गए हैं? जवाब: शुभांशु शुक्ला अपने साथ विशेष रूप से तैयार की गई भारतीय मिठाइयां ले गए हैं। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने बताया था कि वह अंतरिक्ष में आम का रस, गाजर का हलवा और मूंग दाल का हलवा ले जा रहे हैं। सवाल 4: इस मिशन में भारत को कितनी लागत आई है? जवाब: इस मिशन पर भारत ने अब तक करीब 548 करोड़ रुपए खर्च किए हैं। इसमें शुभांशु और उनके बैकअप ग्रुप कैप्टन प्रशांत नायर की ट्रेनिंग का खर्च भी शामिल है। ये पैसे ट्रेनिंग, उपकरण और अंतरराष्ट्रीय साझेदारी में लगे हैं। शुभांशु की ट्रेनिंग की 3 तस्वीरें… सवाल 5: भारत के लिए यह मिशन कितना अहम है? जवाब: शुभांशु का ये अनुभव गगनयान मिशन (2027 में प्लान्ड) के लिए बहुत मददगार होगा। वापस आने के बाद वो जो डेटा और अनुभव लाएंगे, वो भारत के अंतरिक्ष प्रोग्राम को आगे बढ़ाने में हेल्प कर सकता है। सवाल 6: क्या ये प्राइवेट स्पेस मिशन है? जवाब: हां, एक्सियम मिशन 4 एक प्राइवेट स्पेस फ्लाइट मिशन है। अमेरिका की प्राइवेट स्पेस कंपनी एक्सियम स्पेस और नासा के कोलैबोरेशन में यह हो रहा है। एक्सियम स्पेस का यह चौथा मिशन है। इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन क्या है? इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पृथ्वी के चारों ओर घूमने वाला एक बड़ा अंतरिक्ष यान है। इसमें एस्ट्रोनॉट रहते हैं और माइक्रो ग्रेविटी में एक्सपेरिमेंट करते हैं। यह 28,000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रैवल करता है। यह हर 90 मिनट में पृथ्वी की परिक्रमा पूरी कर लेता है। 5 स्पेस एजेंसीज ने मिलकर इसे बनाया है। स्टेशन का पहला पीस नवंबर 1998 में लॉन्च किया गया था। —————————————- शुभांशु शुक्ला से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… 1. एस्ट्रोनॉट शुभांशु अंतरिक्ष में रवाना:मां बोलीं- खुशी का ठिकाना नहीं, लेकिन डर भी लग रहा लखनऊ के शुभांशु शुक्ला एक्सिअम मिशन-4 के तहत इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन यानी ISS पर रवाना हो गए। उनके साथ तीन अन्य एस्ट्रोनॉट भी स्पेस स्टेशन जा रहे हैं। लखनऊ में शुभांशु के माता-पिता बेटे की ऐतिहासिक अंतरिक्ष यात्रा को लेकर काफी खुश हैं। उनके रवाना होने पर मां की आंखों में आंसू छलक आए। पूरी खबर पढ़ें… 2. शुभांशु अंतरिक्ष के लिए रेडी, मां को खाने की टेंशन:लखनऊ में बहन बोलीं- बचपन में कहते थे मैं तारों के पास घूमने जाऊंगा लखनऊ के शुभांशु शुक्ला जल्द ही NASA और Axiom Space के कंबाइंड मिशन पर अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की उड़ान भरेंगे। मिशन में उनके साथ 4 लोग जा रहे हैं। मिशन का नाम-Axiom 4 है। अंतरिक्ष में वे 14 दिन रहेंगे। इंडियन एयरफोर्स के ग्रुप कैप्टन और एस्ट्रोनॉट शुभांशु ऐसा करने वाले के दूसरे अंतरिक्ष यात्री होंगे, उनसे पहले राकेश शर्मा ये कारनामा कर चुके हैं। पूरी खबर पढ़ें…
