जाकिर हुसैन ने तबले पर बजाया भगवान शिव का डमरू:छत्तीसगढ़ में उनकी लास्ट परफॉर्मेंस का वीडियो, कहा था- आखिरी सांस तक सीखो

पद्म विभूषण उस्ताद जाकिर हुसैन का रविवार देर रात निधन हो गया है। 73 साल की उम्र में सैन फ्रांसिस्को में उन्होंने अंतिम सांस ली। उनकी छत्तीसगढ़ से जुड़ी कुछ यादें हैं। 18 दिसंबर 2019 को जाकिर हुसैनखैरागढ़ आए थे। यह उनका आखिरी छत्तीसगढ़ दौरा था। इंदिरा कला एवं संगीत विश्वविद्यालय के 15वें दीक्षांत समारोह में जाकिर हुसैन मुख्य अतिथि थे। उन्होंने अपनी परफॉर्मेंस दी। तब उन्होंने तबले पर भगवान शिव का डमरू बजाकर सुनाया था। भागते हुए हिरण की चाल को भी तबले के जरिए लोगों को ऐसे सुनाया। तब लगा मंच पर हिरण सच में भाग रहा हो। यहां उन्हें डॉक्टर की मानद उपाधी से नवाजा गया था। उन्होंने अपनी लास्ट स्पीच में जीवन की आखिरी सांस तक सीखने की बात कही थी। रायपुर को लेकर की मजेदार बात स्टेज पर या आम तौर पर लोगों से बात करते हुए जाकिर हुसैन मजाक भी खूब किया करते थे। जब वो राजनांदगांव जिले के इंदिरा कला एवं संगीत विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में शामिल होकर लौट रहे थे तो रायपुर एयरपोर्ट पर पत्रकारों से बातचीत की। उन्होंने कहा कि, रायपुर अच्छा शहर है, छत्तीसगढ़ की हवा अच्छी है यहां आकर खुलकर सांस लेने को जी करता है। इतने में एक कार चालक जोर-जोर से हॉर्न बजा रहा था। रोचकअंदाज में जाकिर ने कहा कि यहां की गाड़ियों के हॉर्न भी बहुत अच्छे और लाउड (तेज आवाज वाले) हैं। उन्होंने यहां के खान-पान को भी सराहा था। पढ़िए जाकिर का लास्ट स्पीच स्टूडेंट्स से जाकिर हुसैन ने कहा कि, मेरे पिताजी ने मुझे जो लेसन दिया वह यह था कि गुरु या उस्ताद बनने की कोशिश मत करो। एक अच्छे छात्र बनो उसमें तुम्हारी जिंदगी बड़े सुख से और अच्छी तरह से गुजरेगी। क्योंकि जिस दिन आप इस दुनिया में आते हैं और पहली सांस लेते हैं और उस दिन जब आप दुनिया से जाते हैं और आखिरी सांस लेते है उस सफर में सीखना ही मिलता है। जाकिर हुसैन ने आगे कहा- परफेक्शन नाम की कोई चीज नहीं है रोज आप अच्छे से अच्छा कार्यक्रम प्रस्तुत करेंगे दूसरे दिन आप सोचेंगे कि यहां वह गलती हो गई थी। हम परफेक्शन कभी नहीं पा सकते यह यह सिर्फ खुदा के लिए ही संभव है, हमारे लिए नहीं है। मैं कहूंगा- सुनने वाले सुन लेते हैं कण-कण में संगीत, धड़कन ताल है, सांस है सुर और जीवन है एक गीत…। CM साय ने जताया दुख छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने उस्ताद जाकिर हुसैन के निधन पर दुख जताया है। उन्होंने कहा कि, उस्ताद जाकिर हुसैन एक प्रसिद्ध तबला वादक थे, जिनका भारतीय संगीत जगत में अमूल्य योगदान रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि, उनके निधन से संगीत की दुनिया में अपूरणीय क्षति हुई है। साय ने दिवंगत आत्मा को शांति और उनके परिवार को इस कठिन समय में संबल देने की कामना की। गौरतलब है कि उस्ताद जाकिर हुसैन ने अपने करियर में तीन ग्रैमी अवॉर्ड ही नहीं जीते थे, बल्कि उन्हें पद्मश्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण से भी नवाजा गया था। उस्ताद जाकिर हुसैन से जुड़े फैक्ट्स उनके पिता का नाम उस्ताद अल्लारक्खा कुरैशी और मां का नाम बावी बेगम था। उस्ताद अल्लारक्खा अपने समय के बेहद प्रसिद्ध तबला वादक थे। उन्होंने ही जाकिर को संगीत की शुरुआती तालीम दी। जाकिर हुसैन की प्रारंभिक शिक्षा मुंबई के माहिम स्थित सेंट माइकल स्कूल से हुई थी। उन्होंने ग्रेजुएशन मुंबई के ही सेंट जेवियर्स कॉलेज से किया था। ……………………………………. इससे संबंधित यह भी पढ़िए… तलत अजीज बोले- उस्ताद जाकिर हुसैन का निधन परसों हुआ: परिवार ने आज पुष्टि की, 73 साल की उम्र में सैन फ्रांसिस्को में ली अंतिम सांस विश्वविख्यात तबला वादक और पद्म विभूषण उस्ताद जाकिर हुसैन का निधन हो गया है। उनके निधन की खबर रविवार रात से आ रही थी, लेकिन सोमवार सुबह परिवार ने इसकी पुष्टि की। वे इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस से जूझ रहे थे और दो हफ्ते से सैन फ्रांसिस्को के अस्पताल में भर्ती थे। पढ़ें पूरी खबर

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