छत्तीसगढ़ के 9वीं कक्षा में पढ़ने वाले बच्चों को नहीं पता कि संविधान कैसे बना? संविधान बनाने वालों में कौन-कौन शामिल हैं? संविधान में राष्ट्रीय आंदोलन से जुड़े कौन से विचार और आदर्श शामिल किए गए हैं? सिर्फ 37% बच्चे ही बायोलॉजिकल चेंज को समझ पाते हैं। 33 फीसदी स्कूलों में 11वीं कक्षा के स्टूडेंट्स के लिए लैब नहीं हैं। राज्य में 10वीं के बाद हर 10 में 2 बच्चे पढ़ाई छोड़ देते हैं। प्रदेश के 10 में से 5 यानी 46% स्कूलों में एन्टी बुलिंग पॉलिसी ही नहीं है। ये इसलिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि राज्य के 32% बच्चों को रोज उनके क्लास मेट्स चिढ़ाते हैं, 28% का मजाक उड़ाते हैं। जिससे बच्चे स्कूलों में सुरक्षित महसूस नहीं करते। 50% से ज्यादा बच्चों के हाथ में स्मार्टफोन है, लेकिन 48 फीसदी स्कूलों में कंप्यूटर नहीं है। वहीं 18% स्कूलों में छात्र और छात्राओं के लिए सेपरेट टॉयलेट नहीं है। ये खुलासा मिनिस्ट्री ऑफ एजुकेशन की रिपोर्ट ‘परख’ में हुआ है। इस रिपोर्ट का भास्कर ने एनालिसिस किया, पढ़िए पूरा एक्सप्लेनर… सबसे पहले ग्राफिक के जरिए जानिए राज्य के स्कूलों में पॉलिसी,फैसिलिटी, इन्फ्रास्ट्रक्चर और बच्चों का हाल … अब कक्षा 9वीं के बच्चों का रिपोर्ट कार्ड पढ़िए… क्लास 9th के बच्चों का असेसमेंट टेस्ट भाषा, गणित, साइंस और सोशल साइंस इन चार सब्जेक्ट्स पर लिया गया। लैंग्वेज में छत्तीसगढ़ के बच्चों का औसत परफार्मेंस 53%, लगभग नेशनल के स्कोर 54% के समतुल्य रहा। यानी टेस्ट में शामिल हुए 31,342 बच्चों में से लगभग 16,611 स्टूडेंट लैंग्वेज से जुड़े सवालों के जवाब दे पाए। इसी तरह मैथ्स से जुड़े सवालों के 10,969 यानी 35% स्टूडेंट ही सही जवाब दे पाए। ये नेशनल के औसत स्कोर से 2% कम है। 12,536 यानी 40% बच्चों ने साइंस से जुड़े सवालों के सही जवाब दिए। जो नेशनल के औसत स्कोर के बराबर है। वहीं सामाजिक विज्ञान में हम राष्ट्रीय स्तर पर एक 1% पीछे हैं। हमारे 39% यानी 12,223 बच्चे ही सोशल साइंस से जुड़े सवालों का सही जवाब दे पाए। ओवर आल देखा जाए तो 9वीं के बच्चों की भाषा ठीक-ठाक है, लेकिन मैथ्स बेहद कमजोर है। साइंस और सोशल साइंस में भी बहुत बढ़िया हाल नहीं है, लेकिन नेशनल स्कोर के तुलना में आंकड़े बहुत बुरे नहीं भी कहे जा सकते। सिंगल कैटेगरी के कई सवालों से परखी गई 9th क्लास के बच्चों की भाषा … कैटेगरी 1: किसी खबर, रिपोर्ट या लेख को ध्यान से पढ़कर या सुनकर, उसकी मुख्य बातें पहचानना और उन्हें संक्षेप में यानी शॉर्ट समरी में एक्सप्लेन कर पाना। रिजल्ट: परख की रिपोर्ट कहती है कि छत्तीसगढ़ के 53% स्टूडेंट ही ऐसा कर पाए। राष्ट्रीय स्तर पर ये औसत 54% का है। मैथ्स का नॉलेज परखने के लिए कुल 12 कैटेगरी में सवाल पूछे गए थे, हम यहां दो बेसिक कैटेगरी के सवालों का डिस्क्रिप्शन और उनका रिजल्ट आपको रहे हैं… कैटेगरी 1: प्रतिशत का मतलब समझना और उसका इस्तेमाल करके सवाल हल करना। रिजल्ट: उदाहरण के साथ समझिए…सवाल पूछा गया कि एक कक्षा में 40 बच्चे हैं। उनमें से 50% लड़कियां हैं। तो लड़कियों की संख्या कितनी है? या राम को परीक्षा में 80% अंक मिले। परीक्षा 100 अंकों की थी। तो राम ने कितने अंक पाए? गौरतलब है कि सिर्फ 26% बच्चे ही इस तरह के सवाल हल कर पाए। नेशनल का औसत स्कोर 28% रहा। कैटेगरी 2: भिन्न यानी फ्रैक्शन को समझना और उन्हें अनुपात या दशमलव के तौर पर रोजमर्रा की जिंदगी में इस्तेमाल करना। रिजल्ट: उदाहरण से समझिए…एक पिज्जा 4 लोगों में बराबर बांटना है। इसे भिन्न के तौर पर लिखा जाएगा 1/4 और दशमलव के तौर पर 0.25। इस तरह का मैथ्स राज्य में 29% बच्चे ही समझ पाए। देश में यही स्कोर 31% है। साइंस का टेस्ट 12 कैटेगरी के सवालों से हुआ। हम यहां दो बेसिक कैटेगरी के सवालों का डिस्क्रिप्शन और उनका रिजल्ट आपको रहे हैं- कैटेगरी 1: पदार्थ में होने वाले भौतिक और रासायनिक को परिवर्तनों समझाना। पदार्थ के कणीय स्वरूप (छोटे-छोटे कणों से बने होने) के आधार पर उसके गुणों और परिवर्तनों को दिखाना। रिजल्ट: इस तरह का आइडेंटिफिकेशन राज्य के सिर्फ 37% बच्चे ही कर पाए। नेशनल स्कोर 38% हैं। कैटेगरी 2: मैग्नेट की विशेषता बताना। पृथ्वी मैग्नेट की तरह काम करती है इसे एक्सप्लेन करना। रिजल्ट: 38% बच्चे ही इससे जुड़े सवालों के जवाब दे पाए। जो नेशनल के स्कोर के 3% कम है। सोशल साइंस का टेस्ट 15 कैटेगरी के अलग-अलग सवालों से हुआ। हम यहां दो बेसिक कैटेगरी के सवालों का डिस्क्रिप्शन और उनका रिजल्ट आपको रहे हैं- कैटेगरी 1: भारतीय संविधान के निर्माण के प्रक्रिया की जानकारी, इसमें शामिल भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के विचारों और आदर्श। भारतीय सभ्यता से जुड़े मूल्यों की संविधान में संलिप्तता की जानकारी। रिजल्ट: सिर्फ राज्य के 45% स्टूडेंट्स ही संविधान से जुड़ सवालों के जवाब दे पाए। नेशनल का औसत स्कोर भी यही है। कैटेगरी 2: पानी, खेती, रा मटेरियल और अन्य संसाधनों के विभिन्न क्षेत्रों में डिस्ट्रीब्यूशन को समझना और पहचानना। रिजल्ट: उदाहरण से समझिए, पंजाब और हरियाणा में गेहूं और धान की खेती बड़े पैमाने पर होती है। जबकि महाराष्ट्र में कपास और गन्ना उगाया जाता है। इस तरह के अंतर को प्रदेश के 37% स्टूडेंट की समझ पाते हैं। नेशनल में औसत स्कोर 38% है। लड़कियां मैथ्स, लैंग्वेज, साइंस में आगे, सोशल साइंस में स्कोर बराबर कक्षा 9वीं में भी छठवीं और तीसरी की तरह लड़कियों का लिखने-पढ़ने का स्तर लड़कों की तुलना में बेहतर है। लड़कियां भाषाई तौर पर नेशनल के औसत स्कोर के बराबरी पर खड़ी हैं। जबकि लड़के 2% पीछे हैं। इसी तरह मैथ्स में भी लड़कों का परफार्मेंस मैथ्स नेशनल के कम्पेरिजन 2% कम है। जबकि लड़कियों का सिर्फ 1% कम है। साइंस की बात करें तो लड़के यहां 2% स्कोर से नेशनल की तुलना में पिछड़े हुए हैं। जबकि लड़कियों का स्कोर नेशनल के स्कोर के बराबर है। वहीं सोशल साइंस ही इकलौता सब्जेक्ट हैं जहां लड़कों प्रदेश की लड़कियों के बराबर स्कोर किया है। हालांकि ये स्कोर नेशनल की तुलना में 1% कम रहा है। गांव के बच्चे सारे सब्जेक्टस् में शहरी बच्चों से आगे रूलर क्षेत्र में आने वाले बच्चों का गणित में स्कोर राष्ट्रीय औसत में 2% और सामाजिक विज्ञान में प्रदर्शन 1% कम रहा, जबकि भाषा और विज्ञान में प्रदर्शन राष्ट्रीय औसत के बराबर रहा। इसके उलट भाषा और गणित दोनों में अर्बन स्टूडेंट्स का स्कोर 2% कम अंक आए। वहीं विज्ञान और सामाजिक विज्ञान में 1% पीछे रहे। यानी मैथ्स, लैंग्वेज, साइंस और सोशल साइंस चारों ही सब्जेक्टस् में ग्रामीण बच्चे ज्यादा आगे हैं। प्राइवेट स्कूल के बच्चे यहां भी सरकारी स्कूलों से पीछे इसी आंकड़े को स्कूलों के लिहाज से देखा जाए तो स्टेट गवर्नमेंट के स्कूलों में छात्रों ने भाषा, गणित और सामाजिक विज्ञान में नेशनल की तुलना में 1% कम अंक प्राप्त किए। जबकि विज्ञान में प्रदर्शन राष्ट्रीय औसत के बराबर रहा। इसके उलट प्राइवेट स्कूलों के छात्रों ने भाषा, गणित और विज्ञान में 2% कम अंक, और सामाजिक विज्ञान में 1% कम अंक प्राप्त किए। गवर्नमेंट एडेड स्कूल का प्रदर्शन अच्छा, केन्द्रीय स्कूलों का औसत वहीं सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में छात्रों ने भाषा में 1% अधिक अंक और गणित में 2% कम अंक प्राप्त किए। विज्ञान और सामाजिक विज्ञान में प्रदर्शन राष्ट्रीय औसत के बराबर रहा। जबकि केंद्रीय सरकार के स्कूलों के छात्रों ने भाषा, गणित और सामाजिक विज्ञान में 1% कम अंक प्राप्त किए। विज्ञान में प्रदर्शन राष्ट्रीय औसत के बराबर रहा। SC वर्ग कमजोर, ST के स्टूडेंट्स मजबूत सोशल ग्रुप्स के आधार पर कम्पेरिजन किया जाए तो SC छात्रों का भाषा में स्कोर 2% अधिक और गणित में 2% कम रहा। विज्ञान और सामाजिक विज्ञान में प्रदर्शन राष्ट्रीय औसत के बराबर रहा। वहीं ST स्टूडेंट्स का भाषा, विज्ञान और सामाजिक विज्ञान में नेशनल की तुलना में औसत अंक 2 प्रतिशत अधिक रहा। वहीं गणित में 1% ज्यादा रहा। जो राष्ट्रीय औसत से बेहतर है। OBC का परफार्मेंस औसत, सामान्य कैटेगरी नेशनल से आगे ओबीसी ग्रुप के स्टूडेंट्स का गणित का औसत स्कोर नेशनल से 2% कम रहा, जबकि लैंग्वेज, साइंस और सोशल साइंस में परफार्मेंस नेशनल के बराबर रहा। अन्य सामाजिक वर्ग के स्टूडेंट्स ने नेशनल के कम्पेरिजन भाषा में 4%, गणित में 1%, विज्ञान और सामाजिक विज्ञान में 3% अधिक अंक मिला।
