छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित 2161 करोड़ रुपए के शराब घोटाले की जांच की रफ्तार तेज हो गई है। दिल्ली से शराब कारोबारी विजय भाटिया की गिरफ्तारी के बाद EOW EOW की नजर अब सिंडिकेट के उन 16 आरोपियों पर है, जिन्होंने शराब की आपूर्ति, पैसे के लेनदेन और रॉ-मटेरियल की डिलीवरी में भूमिका निभाई है। EOW के मुताबिक सिंडिकेट में नामी कारोबारी, प्लेसमेंट एजेंसी के संचालक और हवाला नेटवर्क से जुड़े चेहरे शामिल हैं। जांच एजेंसी अब इन आरोपियों को नोटिस जारी कर पूछताछ के लिए बुलाने की तैयारी में है। सूत्रों के मुताबिक शराब सिंडिकेट में शामिल इन लोगों से विजय भाटिया से तगड़े कनेक्शन मिले हैं। EOW की लिस्ट में सिद्धार्थ सिंघानिया, पीयूष बिजलानी और हवाला कारोबारी दिपेंद्र चावड़ा जैसे कई नामी चेहरे हैं, जिन पर घोटाले के लिए शराब, पैसा और रॉ मटेरियल की लॉजिस्टिक सप्लाई की जिम्मेदारी रही। पढ़िए इस रिपोर्ट में सिंडिकेट में किस आरोपी की क्या भूमिका रही ?… राजनीतिक और आर्थिक गठजोड़ हो सकता है उजागर दरअसल, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के करीबी पप्पू बंसल से पूछताछ के बाद अब जांच का दायरा और बड़ा होता जा रहा है। EOW इस महीने के अंत तक आरोपियों के बयान दर्ज कर सकती है। माना जा रहा है कि ये बयान घोटाले के कई और अनदेखे पहलुओं को उजागर कर सकते हैं, जो बड़े राजनीतिक और आर्थिक गठजोड़ की ओर इशारा करेंगे। क्या है छत्तीसगढ़ का शराब घोटाला छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले में ED जांच कर रही है। ED ने ACB में FIR दर्ज कराई है। दर्ज FIR में 2 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा के घोटाले की बात कही गई है। ED ने अपनी जांच में पाया कि तत्कालीन भूपेश सरकार के कार्यकाल में IAS अफसर अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के एमडी AP त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर के सिंडिकेट के जरिए घोटाले को अंजाम दिया गया था। A, B और C कैटेगरी में बांटकर किया गया घोटाला A: डिस्टलरी संचालकों से कमीशन 2019 में डिस्टलरी संचालकों से प्रति पेटी 75 रुपए और बाद के सालों में 100 रुपए कमीशन लिया जाता था। कमीशन को देने में डिस्टलरी संचालकों को नुकसान ना हो, इसलिए नए टेंडर में शराब की कीमतों को बढ़ाया गया। साथ ही फर्म में सामान खरीदी करने के लिए ओवर बिलिंग करने की राहत दी गई। B: नकली होलोग्राम वाली शराब को सरकारी दुकानों से बिकवाना डिस्टलरी मालिक से ज्यादा शराब बनवाई। नकली होलोग्राम लगाकर सरकारी दुकानों से बिक्री करवाई गई। नकली होलोग्राम मिलने में आसानी हो, इसलिए एपी त्रिपाठी के माध्यम से होलोग्राम सप्लायर विधु गुप्ता को तैयार किया गया। होलोग्राम के साथ ही शराब की खाली बोतल की जरूरत थी। खाली बोतल डिस्टलरी पहुंचाने की जिम्मेदारी अरविंद सिंह और उसके भतीजे अमित सिंह को दी गई। खाली बोतल पहुंचाने के अलावा अरविंद सिंह और अमित सिंह को नकली होलोग्राम वाली शराब के परिवहन की जिम्मेदारी भी मिली। सिंडिकेट में दुकान में काम करने वाले और आबकारी अधिकारियों को शामिल करने की जिम्मेदारी एपी त्रिपाठी को सिंडिकेट के कोर ग्रुप के सदस्यों ने दी। शराब बेचने के लिए प्रदेश के 15 जिले शॉर्ट लिस्टेड किए गए शराब बेचने के लिए प्रदेश के 15 जिलों को चुना गया। शराब खपाने का रिकॉर्ड सरकारी कागजों में ना चढ़ाने की नसीहत दुकान संचालकों को दी गई। डुप्लीकेट होलोग्राम वाली शराब बिना शुल्क अदा किए दुकानों तक पहुंचाई गई। इसकी एमआरपी सिंडिकेट के सदस्यों ने शुरुआत में प्रति पेटी 2880 रुपए रखी थी। इनकी खपत शुरू हुई, तो सिंडिकेट के सदस्यों ने इसकी कीमत 3840 रुपए कर दी। डिस्टलरी मालिकों को शराब सप्लाई करने पर शुरुआत में प्रति पेटी 560 रुपए दिया जाता था, जो बाद में 600 रुपए कर दिया गया था। ACB को जांच के दौरान साक्ष्य मिला है कि सिंडिकेट के सदस्यों ने दुकान कर्मचारियों और आबकारी अधिकारियों की मिलीभगत से 40 लाख पेटी से अधिकारी शराब बेची है। C: डिस्टलरीज की सप्लाई एरिया को कम/ज्यादा कर अवैध धन उगाही करना देशी शराब को CSMCL के दुकानों से बिक्री करने के लिए डिस्टलरीज के सप्लाई एरिया को सिंडिकेट ने 8 जोन में विभाजित किया। इन 8 जोन में हर डिस्टलरी का जोन निर्धारित होता था। 2019 में सिंडिकेट की ओर से टेंडर में नई सप्लाई जोन का निर्धारण प्रतिवर्ष कमीशन के आधार पर किया जाने लगा। एपी त्रिपाठी ने सिंडिकेट को शराब बिक्री का जोन अनुसार विश्लेषण मुहैया कराया था, ताकि क्षेत्र को कम-ज्यादा करके पैसा वसूल किया जा सके। इस प्रक्रिया को करके सिंडिकेट डिस्टलरी से कमीशन लेने लगा। EOW के अधिकारियों को जांच के दौरान साक्ष्य मिले हैं कि तीन वित्तीय वर्ष में देशी शराब की सप्लाई के लिए डिस्टलरीज ने 52 करोड़ रुपए पार्ट C के तौर पर सिंडिकेट को दिया है।
