देश में पहला मामला:वन विभाग ने पर्यटकों से दूर छिपाकर रखा, प्रतिबंधित क्षेत्र का बोर्ड लगा, कर्मचारी बोले- जल्द इन्हें रिहा करवाएं

रायपुर के नंदनवन पक्षी विहार अटारी में 4 तेंदुए व एक लकड़बग्घा नजरबंद कर रखा गया है। वो भी 8 साल से। अत्याचार की इंतिहा ये है कि 10 गुणा 10 के पिंजरे में कैद इन वन्यजीवों को कभी बाहर नहीं निकाला गया। जहां रखा गया है, वह प्रतिबंधित क्षेत्र है। कभी-कभार अफसर या जांच के लिए डॉक्टर जाते हैं। इनके अलावा खाना देने वाले 2 वनकर्मियों को ही जाने की इजाजत है। ये खुलासा भास्कर की महीनेभर की पड़ताल में हुआ है। साल 2016-17 में सभी वन्यजीवों को नंदनवन से जंगल सफारी शिफ्ट कर दिया गया था, तो इन 5 को क्यों नहीं? इसके पीछे अफसरों का तर्क है कि ये बीमार थे। अगर, ये बीमार थे तो जंगल सफारी के रेस्क्यू सेंटर में रखकर इलाज क्यों नहीं किया, इसके जवाब में अफसर कह रहे हैं कि वहां बाड़ा (सेल) नहीं हैं। सवाल ये भी है कि बाड़े बनाने में 8 साल लगते हैं? आज इन पांचों को धूप, बारिश नसीब नहीं हैं। पड़ताल में ये भी पता चला कि नंदनवन चिड़ियाघर के पास जू का लाइसेंस नहीं है। दरअसल, नंदनवन चिड़ियाघर अटारी रायपुर से 2016-17 में वन्यजीवों को एशिया के सबसे बड़े मानव निर्मित जंगल सफारी, नवा रायपुर में शिफ्ट कर दिया गया था। इसके बाद नंदनवन में सिर्फ पक्षी बचे। नंदनवन को वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 की धारा 38एच के तहत सेंट्रल जू अथॉरिटी (सीजेडए) ने चिड़ियाघर के रूप में मान्यता नहीं दी।
नंदनवन में बंद तेंदुआ के बारे में पूरी जानकारी-
15 दिसंबर 2010- मादा तेंदुआ डाली को 4 साल की उम्र में बागबाहरा परिक्षेत्र से रेस्क्यू किया गया था। उसे पास का दिखाई नहीं देता। दूर का स्पष्ट देख पाती है।
10 अक्टूबर 2012- तेंदुआ नर टेकराम, 12 साल की उम्र में पिथौरा परिक्षेत्र से नंदनवन लाया गया था।
16 दिसंबर 2014- बालोद परिक्षेत्र से 1 नर तेंदुआ (नरसिम्हा) को 6 साल की उम्र में नंदनवन लाया गया था। ऊपर-नीचे के केनाइन दांत टूटे हुए थे। माथे पर चोट लगी थी। इसे ग्लूकोमा है।
04 अप्रैल 2019- रायपुर के मोंहरेंगा वनक्षेत्र से 7 साल की उम्र में रेस्क्यू किया गया था। जिसके ऊपर नीचे के केनाईन दांत टूटे हुए हैं।
लकड़बग्घा, 20 जनवरी 2021-कोकर क्षेत्र से मादा लकड़बग्घा को घायल अवस्था में यहां लाया गया था।
लाइव: भास्कर टीम 1 महीने में 4 बार नंदनवन पहुंची, तब जाकर मिली तस्वीर टीम भास्कर पहली बार पर्यटक के तौर पर पहुंची तो पक्षी, हिरण के अलावा कोई जीव नहीं दिखा। दूसरी बार पहुंचने पर कर्मचारियों ने तेंदुआ होने इनकार कर दिया। तीसरी बार में एक कर्मचारी ने इसकी पुष्टि तो की, पर यह बोला कि मैंने देखा नहीं है। एक विशिष्ट खंड में इन्हें रखा गया है। टीम वहां पहुंची, लेकिन गेट पर ताला लगा था। चौथी बार में अटारी मार्ग पर ​पीछे के रास्ते टीम ने इन पिंजरों के पास इंतजार किया। शाम 5 बजे 2 कर्मचारी खाना लेकर पहुंचे, तो तेंदुए दिखे। यहां कर्मियों से हुई बातचीत के अंश… रिपोर्टर: कितने तेंदुए हैं?
कर्मचारी: यहां 4 हैं।
रिपोर्टर: इन्हें यहां क्यों रखा है, जंगल सफारी क्यों नहीं भेजा?
कर्मचारी: ये बीमार थे। अब ठीक हैं। डॉक्टर आते हैं। इन्हें पर्यटकों को दिखाने की इजाजत नहीं है।
रिपोर्टर: क्यों नहीं दिखाया जाता इन्हें?
कर्मचारी: पक्षी विहार हो गया है, ये जू नहीं है। पक्षी विहार में वन्यजीव नहीं रखे जाते हैं। जंगल सफारी में सेल नहीं बन पाई थी, अत: शिफ्टिंग नहीं हुई। अब ये काम हो चुका है। 8-10 दिन में शिफ्टिंग हो जाएगी। यह रेस्क्यू सेंटर में रहेंगे।
गणवीर धम्मशील, डायरेक्टर, नंदनवन जंगल सफारी यह तेंदुओं, लकड़बग्घा के साथ क्रूरता है। मैंने इस बारे में विभाग के शीर्ष अधिकारी को पत्र लिखा है कि रहम करते हुए इन्हें जल्द जंगल सफारी भेजें।
-नितिन सिंघवी,वन्यजीव प्रेमी

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