आंध्र प्रदेश SC आरक्षण में आरक्षण देगा, अध्यादेश जारी:59 जातियों को 3 ग्रुप में बांटा; 2011 की जनगणना को आधार बनाया

आंध्र प्रदेश ने गुरुवार को अनुसूचित जातियों (SC) आरक्षण के भीतर आरक्षण देने के लिए अध्यादेश जारी किया। राज्य में कुल 59 SC जातियों को 15% आरक्षण मिलता है। पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को SC और अनुसूचित जनजातियों (ST) कोटे में कोटा देने की अनुमति दी थी। आंध्र प्रदेश के अध्यादेश में सरकारी नौकरी और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण के लिए SC जातियों को तीन ग्रुप में बांटा गया है। इसमें चंदाला, पाकी, रेल्ली, डोम जैसी 12 जातियों को 1% आरक्षण के साथ ग्रुप-I, चमार, मादिगा, सिंधोला, मातंगी जैसी जातियों को 6.5% आरक्षण के साथ ग्रुप-II में और माला, अदि आंध्र, पंचमा जैसी जातियों को 7.5% आरक्षण के साथ ग्रुप-III में रखा गया है। आंध्र प्रदेश सरकार ने पिछले साल दिसंबर में रिटायर्ट IAS राजीव रंजन मिश्रा को SC कोटे में कोटा देने के लिए एक सदस्यीय आयोग के रूप में नियुक्त किया। आयोग ने 2011 की जनगणना के आधार पर रिपोर्ट दी थी, जिसे केंद्र को भेजा गया था। तेलंगाना और हरियाणा पहले ही लागू कर चुके कोटे में कोटा
इससे पहले तेलंगाना और हरियाणा सरकार SC कोटे में कोटा लागू कर चुकी है। तेलंगाना ने 14 अप्रैल को आदेश जारी कर SC जातियों को तीन ग्रुप में बांटा है। इसके लिए राज्य सरकार ने अक्टूबर, 2024 में हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज शमीम अख्तर की अध्यक्षता में एक कमीशन बनाया था। वहीं, हरियाणा में भाजपा की तीसरी बार सरकार बनाने के बाद CM नायब सिंह सैनी ने पहली कैबिनेट मीटिंग में SC और ST कोटे में कोटा देने का फैसला किया था। राज्य में SC के लिए 15% और ST के लिए 7.5% आरक्षण है। तेलंगाना ने OBC को 42% आरक्षण का ऐलान किया था
तेलंगाना के CM रेवंत रेड्डी ने 17 मार्च, 2025 को राज्य में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) आरक्षण को 23% से बढ़ाकर 42% करने का ऐलान किया था। अगर यह लागू हो जाता है, तो राज्य में आरक्षण की सीमा 62% हो जाएगी। यह सुप्रीम कोर्ट से तय 50% आरक्षण सीमा से ज्यादा होगी। तेलंगाना CM ने विधानसभा में कहा था- हम OBC आरक्षण को 42% बढ़ाने के लिए जरूरी कानूनी मदद भी लेंगे। हम तब तक शांत नहीं बैठेंगे जब तक पिछड़े वर्ग के लिए 42% आरक्षण हासिल नहीं हो जाता। सुप्रीम कोर्ट ने 20 साल पुराना फैसला पलटा था
सुप्रीम कोर्ट ने 1 अगस्त, 2024 को राज्यों को SC और ST जातियों के भीतर सब-क्लासिफिकेशन करने का संवैधानिक अधिकार दिया था। इसका मकसद सामाजिक और शैक्षणिक रूप से ज्यादा पिछड़ी जातियों को रिजर्वेशन का फायदा देना था। सात जजों की संविधान पीठ ने 6:1 के बहुमत से फैसला सुनाया था। पीठ ने 2004 के ईवी चिन्नैया बनाम आंध्र प्रदेश मामले में पांच जजों की संविधान पीठ का फैसला खारिज कर दिया था। 2004 के फैसले में कोर्ट ने कहा था कि SC जातियां खुद में एक समूह हैं। इसमें शामिल जातियों को जाति के आधार पर बांटा नहीं जा सकता। पूरी खबर पढ़ें… नए फैसले में सुप्रीम कोर्ट की दो हिदायतें
पहली: राज्य SC जाति के भीतर किसी एक जाति को 100% कोटा नहीं दे सकते।
दूसरी: राज्य SC जाति में शामिल किसी जाति का कोटा तय करने से पहले उसकी हिस्सेदारी का पुख्ता डेटा जुटाना होगा। —————————————————— मामले से जुड़ी ये खबरें भी पढ़ें… SC कोटे में कोटा मंजूरी के फैसले का असर, नए दलित नेताओं को जन्म देगा सुप्रीम कोर्ट का फैसला सुप्रीम कोर्ट के SC आरक्षण को छोटी-छोटी जाति समूहों में बांटने और SC में क्रीमीलेयर की पहचान करने का ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। इसका बड़ा असर यह होगा कि राज्यों में अनुसूचित जातियों के उपसमूहों का वोट हासिल करने के लिए पार्टियों को उनके नेता खड़े करने होंगे। नए दलित नेता और उनकी पार्टियां उभर कर सामने आएंगी। पूरी खबर पढ़ें… SC कोटे में कोटा फैसले का एनालिसिस; जो दलित आरक्षण से अफसर बने, क्या उनके बच्चों को नहीं मिलेगा रिजर्वेशन सुप्रीम कोर्ट के SC और ST कोटे में कोटा देने के फैसले के बाद क्या कुछ जातियों को क्रीमी लेयर में शामिल करके आरक्षण से बाहर किया जा सकेगा, क्या ये आरक्षण सिर्फ सरकारी नौकरी के लिए है, इस फैसले का राजनीतिक असर क्या होगा; भास्कर एक्सप्लेनर में ऐसे 10 जरूरी सवालों के जवाब जानिए…

More From Author

बिलासपुर में कार से 2 को उड़ाने का LIVE VIDEO:10 फीट ऊपर हवा में उछलकर गिरे, कोरिया में स्कॉर्पियो से कुचलकर बच्ची को मार-डाला

52वें CJI बनेंगे गवई:चुनावी बॉन्ड रद्द करने समेत कई अहम फैसले दिए; संजीव खन्ना की जगह लेंगे, जाने कंप्लीट प्रोफाइल

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *