10 जिलों में बारिश का अलर्ट…9 में बाढ़ का खतरा:रायपुर-दुर्ग, धमतरी समेत 33 जिले भीगेंगे; कवर्धा में बिजली गिरने से नाबालिग की मौत

छत्तीसगढ़ में हफ्तेभर से लगातार बारिश हो रही है। इस बीच मौसम विभाग ने 9 जिलों बलरामपुर, बालोद, बलौदाबाजार, धमतरी, दुर्ग, कोरिया, महासमुंद, रायपुर और सूरजपुर में अचानक बाढ़ आने का खतरा जताते हुए अगले 24 घंटे के लिए अलर्ट जारी किया है। इसके अलावा आज सेंट्रल छत्तीसगढ़ के दुर्ग, राजनांदगांव, बालोद, कांकेर, महासमुंद, गरियाबंद सहित 10 जिलों में भारी बारिश का ऑरेंज अलर्ट है। रायपुर-बेमेतरा, कबीरधाम सहित 13 जिलों में यलो अलर्ट जारी किया गया है। इस बीच मौसम विभाग ने अगले 3 घंटे के लिए कोरिया, सूरजपुर, बलरामपुर सहित 21 जिलों में भारी बारिश का यलो अलर्ट जारी गया है। रायपुर-बलौदा बाजार, रायगढ़, जशपुर समेत 12 जिलों में ऑरेंज अलर्ट है। अन्य जिलों में मौसम सामान्य रहने की उम्मीद है। इसके बाद कल यानी 11 जुलाई से बारिश की तीव्रता में कमी आ सकती है। बुधवार को दुर्ग, रायपुर और बिलासपुर संभाग के जिलों में भारी बारिश हुई है। कवर्धा जिले के भौराटोला में बिजली गिरने से नाबालिग की मौत हो गई। शिवनाथ नदी में फंसे 32 मजदूरों का रेस्क्यू दुर्ग के थनौद गांव में शिवनाथ नदी में आई बाढ़ में फंसे 32 मजदूरों को सुरक्षित निकाला गया। इनमें बच्चे, महिलाएं और पुरुष शामिल हैं। सभी भारत माला परियोजना में काम करने आए थे। तभी नदी का जलस्तर बढ़ गया। बता दें कि लगातार बारिश से प्रदेश में कई नदी-नाले उफान पर हैं। रायगढ़ जिले में सबसे ज्यादा बारिश इसके अलावा कवर्धा जिले में ही एक ही परिवार की दो महिलाओं की आकाशीय बिजली गिरने से मौत हो गई। बताया जा रहा है कि दोनों महिलाएं चरोटा भाजी (साग) तोड़ने गई थीं। इसी दौरान अचानक मौसम खराब हो गया और गरज-चमक के साथ बिजली गिर पड़ी। यह घटना घटना 8 जुलाई की शाम लगभग 6:00 बजे की है। छत्तीसगढ़ में 1 जून से अब तक 336.3 मि.मी. औसत बारिश दर्ज की गई है। रायगढ़ जिले में सबसे ज्यादा 473.5 मि.मी. वर्षा रिकॉर्ड की गई है। बेमेतरा जिले में सबसे कम 153.0 मिमी बारिश हुई है। 16 पिलरों पर कूद-कूदकर नदी पार कर रहे ग्रामीण कांकेर जिले में 4 गांवों के लिए बारिश मुसीबत बन गई है। ग्रामीणों को आवागमन के लिए नदी पर बने स्टॉप डेम का सहारा लेना पड़ता है। वे 16 पिलरों पर कूद-कूदकर नदी पार कर रहे हैं, जिसका वीडियो सामने आया है। स्कूली बच्चों को भी इसी खतरनाक रास्ते से गुजरना पड़ता है। जिला मुख्यालय से 45 किलोमीटर दूर बांसकुंड, ऊपर तोनका, नीचे तोनका और चलाचूर गांव के 500 से अधिक लोग बारिश की वजह से परेशान हैं। यहां चिनार नदी पर पुल नहीं बना है। ग्रामीण डैम के पिलरों को कूद-कूदकर नदी पार करने को मजबूर हैं। बारिश की ये तस्वीरें देखिए लंबा रह सकता है मानसून मानसून के केरल पहुंचने की सामान्य तारीख 1 जून है। इस साल 8 दिन पहले यानी 24 मई को ही केरल पहुंच गया था। मानसून के लौटने की सामान्य तारीख 15 अक्टूबर है। अगर इस साल अपने नियमित समय पर ही लौटता है तो मानसून की अवधि 145 दिन रहेगी। इस बीच मानसून ब्रेक की स्थिति ना हो तो जल्दी आने का फायदा मिलता सकता है। जानिए इसलिए गिरती है बिजली दरअसल, आसमान में विपरीत एनर्जी के बादल हवा से उमड़ते-घुमड़ते रहते हैं। ये विपरीत दिशा में जाते हुए आपस में टकराते हैं। इससे होने वाले घर्षण से बिजली पैदा होती है और वह धरती पर गिरती है। आकाशीय बिजली पृथ्वी पर पहुंचने के बाद ऐसे माध्यम को तलाशती है जहां से वह गुजर सके। अगर यह आकाशीय बिजली, बिजली के खंभों के संपर्क में आती है तो वह उसके लिए कंडक्टर (संचालक) का काम करता है, लेकिन उस समय कोई व्यक्ति इसकी परिधि में आ जाता है तो वह उस चार्ज के लिए सबसे बढ़िया कंडक्टर का काम करता है। जयपुर में आमेर महल के वॉच टावर पर हुए हादसे में भी कुछ ऐसा ही हुआ। आकाशीय बिजली से जुड़े कुछ तथ्य जो आपके लिए जानना जरूरी आकाशीय बिजली से जुड़े मिथ

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