‘सपने लेकर आए थे…2 दोस्तों की लाश लेकर लौट रहे’:झारखंड के मजदूर बोले- ठेकेदार ने पीटा, पैसे भी नहीं दिए;डरकर गांव भाग रहे थे

“हमें कहा गया था कि रोज 600 रुपए मिलेंगे, लेकिन यहां आकर 400 ही मिले। जब हमने पूछा कि बाकी पैसे क्यों नहीं दे रहे, तो ठेकेदार ने गालियां दी और मारने लगा। डर के मारे भागे, लेकिन हमें नहीं पता था कि रास्ते में ट्रेन मौत बनकर हमारी राह में होगी।” ये बातें बालोद ट्रेन हादसे में घायल विकास हेमराम ने बताई है। उसने कहा कि रातों-रात भाग रहे थे। 25-30 किलोमीटर ही रेलवे ट्रैक पर पैदल चल पाए थे। थककर ट्रैक पर बैठे और नींद लग गई। झारखंड से सभी दोस्त रोटी कमाने सपने लेकर आए थे, लेकिन 2 दोस्तों की टुकड़ों में बांटी लाश लेकर जा रहे हैं। ठेकेदार ने कैसे सताया, पीटा, डराया-धमकाया और काम कराकर पैसे भी नहीं दिए।…पढ़िए इस रिपोर्ट में बालोद के दल्लीराजहरा-कुसुमकसा के बीच रेलवे ट्रैक पर कटकर मरने वाले 2 मजदूरों के दोस्तों की जुबानी दर्दभरी रात की कहानी। पहले ये 3 तस्वीरें देखिए… अब जानिए हादसे से पहले की कहानी ? दरअसल, एक महीने पहले झारखंड के धनबाद जिले के लक्ष्मणपुर गांव से 11 युवाओं की टोली 20 मई के आसपास बालोद के दल्लीराजहरा क्षेत्र पहुंची थी। उन्हें चेक डेम निर्माण में पिचिंग-बोल्डर सेटिंग का काम मिला था। सभी ने अच्छे से काम किया, लेकिन मजदूरी पूरी नहीं मिली। मजदूर अजय राय ने बताया कि कम पैसे मिलने पर सभी ने विरोध किया। इस पर ठेकेदार ने गालियां दी। मारपीट की और अपने गुर्गों से पिटवा। मारपीट और गुंडागर्दी के बीच वह डर गए थे। सभी को अपनी जान बचानी थी। ऐसे में सभी भागने का प्लान बनाया। संतोष मरांडे ने बताया कि 3 जून शाम को किसी को कुछ बताए बिना ही वे अंधेरे में निकल पड़े। उन्हें किसी भी कीमत पर दुर्ग पहुंचना था। दुर्ग से झारखंड की ट्रेन मिलती। करीब 25 किमी चलने के बाद थक 4 दोस्त थक गए। रात करीब 3 बजे पटरी पर बैठकर आराम करने लगे। ट्रेन की आवाज सुनकर फोन लगा रहे थे, तब तक देर हो चुकी थी वहीं सामू हेमाराम, सूरज राय, बबलाल राय, महेन्द्र सिंह, कमलेश सिंह और सूरज हेमरम के साथ वह करीब 200 मीटर आगे बढ़ चुका था। हमें ट्रेन की आवाज सुनाई दी और हमने घबराकर सो रहे साथियों को फोन लगाने की कोशिश की, लेकिन तब तक ट्रेन गुजर चुकी थी। इस दौरान 4 जून की सुबह करीब 3:45 बजे दल्लीराजहरा-कुसुमकसा रेल पटरी पर मालगाड़ी आ गई। ढिल्लू राय और कृष्णा राय के ऊपर से गुजर गई। दोनों दोस्त टुकड़ों में बंट गए, जिससे दोनों की मौके पर मौत हो गई, जबकि अजय राय और विकास हेमरम गंभीर रूप से घायल हो गए। सपने लेकर आए थे, शव लेकर लौटे मजदूर घायल विकास हेमरम ने बताया कि, वे सभी 18 से 25 उम्र के करीब हैं। सभी गांव के दोस्त हैं। सभी के घरों की आर्थिक स्थिति सही नहीं है। इसलिए यहां कई सपने लेकर आए थे, अब दोस्तों के शव लेकर लौट रहे हैं। विकास ने बताया कि कई युवक पहली बार अपने गांव से बाहर निकले थे। इसलिए दूसरे जगह के रहन सहन से बिल्कुल अनजान थे। सुबह 3 से 4 बजे के बीच मालगाड़ी गुजरी थी कुसुमकसा स्टेशन मास्टर टी. ठाकुर के अनुसार, कुसुमकसा से दल्लीराजहरा के लिए मंगलवार अलसुबह 3:42 बजे मालगाड़ी रवाना हुई। इसी मालगाड़ी से हादसा होने की संभावना है। हालांकि जांच के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो पाएगी। मृतक के दोस्तों ने सुबह 4:45 बजे कुसुमकसा के गेटमैन को सूचना दी, जिसके बाद गेटमैन ने स्टेशन मास्टर को सूचना दी फिर वेरिफिकेशन किया गया। सुबह 5 बजे कंफर्म हुआ कि घटना हुई है और दो लोगों की मौत हुई। घटना के बाद संजीवनी एम्बुलेंस कर्मचारियों को सूचना देकर घायलों को अस्पताल पहुंचाया गया। घटना के बाद से ही उनके साथ के लोग बदहवास हो गए। परिजनों को भी फोन पर सूचना दी गई है। कई हिस्सों में बिखर गया शरीर, रेलवे पटरी पर फैला था सामान हादसे की सूचना मिलते ही जब रेलवे और पुलिस की टीम मौके पर पहुंची, तो घटनास्थल का नजारा भयावह था। मालगाड़ी के पहिए से कटने के कारण दो युवकों के शव कई हिस्सों में बंट चुके थे। दो युवक पटरी के किनारे तड़पते हुए मिले। आसपास उनका सामान, मोबाइल और बैग बिखरा पड़ा था। जिन्हें दल्लीराजहरा पुलिस ने मौके से जब्त किया। दल्लीराजहरा सीएसपी डॉ. चित्रा वर्मा ने बताया कि, हादसा सुबह 3:45 से 4 बजे के बीच हुआ है। सूचना मिलते ही घायलों को तत्काल अस्पताल पहुंचाया गया। जहां इलाज चल रहा है। घायल मजदूरों ने जानकारी दी है कि झारखंड से जिले के किसी स्थान में काम करने आए थे। वापस झारखंड जाने निकले थे। तभी यह हादसा हो गया। ……………………………………………. इससे संबंधित यह खबर भी पढ़िए… छत्तीसगढ़ में ट्रेन से कटे झारखंड के 2 मजदूर: साथियों के सामने से ऊपरी से गुजरी ट्रेन; थककर ट्रैक पर ही सोए, टुकड़ों में बंटे छत्तीसगढ़ के बालोद जिले में झारखंड से काम की तलाश में दल्लीराजहरा पहुंचे 2 मजदूरों की ट्रेन से कटकर मौत हो गई। शुरुआती जांच के अनुसार कुल 11 मजदूर ट्रैक के रास्ते पैदल जा रहे थे। इसी दौरान थकावट के कारण 4 मजदूर पटरी पर ही सो गए। पढ़ें पूरी खबर…

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