राज्यसभा में संविधान पर चर्चा में गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को कहा, ‘देश में लोकतंत्र की जड़ें पाताल तक गहरी हैं। इसने अनेक तानाशाहों के अहंकार-गुमान को चूर-चूर किया है। जो कहते थे भारत आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर नहीं हो पाएंगे, हम आज दुनिया की पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था हैं। यह हम सबके लिए गौरव लेने का पल है। संकल्प लेने का पल है।’ शाह ने कहा, ‘संविधान का सम्मान सिर्फ बातों में नहीं, कृति में भी होना चाहिए। इस चुनाव में अजीबोगरीब नजारा देखा। आम सभा में संविधान को लहराया नहीं। संविधान लहराकर, झूठ बोलकर जनादेश लेने का कुत्सित प्रयास कांग्रेस के नेताओं ने किया। संविधान लहराने का विषय नहीं है, संविधान तो विश्वास का विषय है, श्रद्धा का विषय है।’ उन्होंने कहा, ‘महाराष्ट्र चुनाव में संविधान बांटे गए। एक पत्रकार के हाथ में आ गया। कोरा था। प्रस्तावना तक नहीं थी। 75 साल के इतिहास में संविधान के नाम पर इतना बड़ा छल हमने नहीं देखा है, न सुना है। हार का कारण ढूंढते हैं, बता दूं कि लोग जान गए कि संविधान की फर्जी कॉपी लेकर घूमते हो तो लोगों ने हरा दिया।’ शाह के स्पीच की मुख्य बातें… शाह बोले- संविधान का सम्मान सिर्फ बातों में नहीं, काम में भी होना चाहिए शाह बोले- कुछ लोग आज आरक्षण-आरक्षण चिल्लाते
अमित शाह ने कहा कि कुछ लोग आज आरक्षण-आरक्षण चिल्लाते हैं। आरक्षण पर कांग्रेस पार्टी का रुख क्या रहा। 1955 में ओबीसी आरक्षण के लिए काका कालेलकर कमेटी बनी थी, इसकी रिपोर्ट कहां है। हमने दोनों सदनों में ढूंढा, कहीं नहीं मिला। इस पर विपक्ष की ओर से टोका गया कि अर्धसत्य मत बोलिए। ये बाबा साहब का संविधान है, कोई भी रिपोर्ट आती है तो उसे कैबिनेट में रखने के बाद सदन में लाते हैं। इन्होंने वह रिपोर्ट लाइब्रेरी में रख दिया। इस रिपोर्ट पर ध्यान दिए होते तो मंडल कमीशन की जरूरत नहीं पड़ती। मंडल कमीशन की रिपोर्ट पर अमल तब हुआ जब इनकी सरकार गई। जब उस रिपोर्ट को स्वीकार किया गया, तब लोकसभा में विपक्ष के नेता राजीव गांधी ने सबसे लंबा भाषण दिया और कहा कि पिछड़ों को आरक्षण देने से योग्यता का अभाव हो जाएगा। मोदीजी ने ओबीसी आयोग को मान्यता दी, नीटी-यूजी में आरक्षण दिया। इन्होंने क्या किया, झूठ बोलना शुरू कर दिया कि आरक्षण बढ़ा देंगे। आरक्षण क्यों बढ़ाना है, ये बताता हूं। इन्होंने 50% से अधिक आरक्षण करने की वकालत की है। देश के 2 राज्यों में धर्म के आधार पर आरक्षण अस्तित्व में है। ये गैर संवैधानिक है। संविधान सभा की डिबेट पढ़ लीजिए, स्पष्ट किया गया है कि धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं होगा। आरक्षण पिछड़ापन के आधार पर होगा। कांग्रेस की सरकार थी, तो धर्म के आधार पर आरक्षण दिया। 50 फीसदी की सीमा बढ़ाकर मुसलमानों को आरक्षण देना चाहते हैं। दोनों सदन में जब तक बीजेपी का एक भी सदस्य है, धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं होने देंगे, ये संविधान विरोधी है। दो दिन पहले पीएम मोदी ने लोकसभा में भाषण दिया था दो दिन पहले शनिवार (14 दिसंबर) को पीएम मोदी ने संविधान पर चर्चा के दौरान कांग्रेस को संविधान का शिकार करने वाली पार्टी बताया। उन्होंने 1 घंटे 49 मिनट की स्पीच में कहा कि संविधान संशोधन करने का ऐसा खून कांग्रेस के मुंह लग गया कि वह समय-समय पर संविधान का शिकार करती रही। संविधान की आत्मा को लहूलुहान करती रही। करीब 6 दशक में 75 बार संविधान बदला गया। वहीं, 16 दिसंबर को राज्यसभा में संविधान पर चर्चा के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बीच जमकर तकरार हुई। वित्त मंत्री ने कहा- कांग्रेस पार्टी परिवार और वंशवाद की मदद करने के लिए बेशर्मी से संविधान में संशोधन करती रही। ये सत्ता में बैठे लोगों की रक्षा के लिए किया गया था। इस खड़गे ने कहा, ‘वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जी जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) से ग्रेजुएट हैं। मैंने म्यूनिसिपल स्कूल से पढ़ाई की है, लेकिन संविधान हमने भी थोड़ा-बहुत पढ़ा है। निर्मला जी की अंग्रेजी और हिन्दी अच्छी होगी, लेकिन उनके कर्म अच्छे नहीं हैं।’ खड़गे के भाषण की 3 बड़ी बातें… 1. पीएम मोदी की स्पीच सुनी। कहते हैं हमारी बातें जुमले वाली हैं। अरे सबसे बड़े झूठे तो आप हो। आपका 15 लाख रुपए देने का वादा क्या हुआ। 2. शाह जी के पास बहुत बड़ी वॉशिंग मशीन है। उसमें आदमी जाता है क्लीन होकर आता है। हमारे कई नेता उधर गए, जीवन भर हमारे साथ रहे। अब हमें ही सुनाते हैं। 3. 70 सालों में जो हुआ, उसी की वजह से आप डॉक्टर, इंजीनियर बने। मोदी पीएम बने, मैं लेबर का बेटा नेता प्रतिपक्ष बना। आप खुद को तीस मारखां मत समझिए। ये नेहरू जी की देन है। सीतारमण के भाषण की 3 बातें… 1. कांग्रेस GST को ‘गब्बर सिंह टैक्स’ कहती है। धनखड़ ने कहा, ‘क्या होगा अगर कोई गब्बर सिंह आकर कहे कि मुझे बदनाम किया गया है।’ 2. कांग्रेस ने दशकों तक पुराने संसद भवन के मध्य में बाबासाहेब अंबेडकर की तस्वीर नहीं लगने दी, उन्हें भारत रत्न से वंचित रखा गया। 3. मजरूह सुल्तानपुरी और बलराज साहनी दोनों को 1949 में जेल भेजा गया था। क्योंकि इन लोगों ने नेहरू के खिलाफ कविता सुनाई थी।