शराब घोटाले की आरोपी कंपनियां नई सरकार में भी सप्लायर:कांग्रेस बोली- असली घोटाला बीजेपी सरकार में हो रहा, गांव-गांव में शराब दुकानें खुल रहीं

छत्तीसगढ़ शराब घोटाले की जांच जारी है। ED-EOW जैसी एजेंसी इसमें अलग-अलग जांच कर रही है। कथित घोटाले के दौरान नेताओं-कारोबारियों के साथ कुछ कंपनियों को भी आरोपी बनाया गया है। अब ये बात सामने आ रही है कि, जो कंपनियां आरोपी थी उनसे अभी भी शराब ली जा रही है। कांग्रेस की ओर से पूर्व मंत्री शिव डहरिया ने कहा कि, धड़ल्ले से बीजेपी सरकार में वही कंपनियां शराब की सप्लाई कर रही हैं। साथ ही मुनाफा कमा रही हैं। इनमें भाटिया वाइन, छत्तीसगढ़ डिस्टलरी और वेलकम डिस्टलरी जैसी कंपनी शामिल है। दरअसल, 2 हजार करोड़ से ज्यादा के शराब घोटाले में ED की विशेष कोर्ट ने 24 फरवरी को एक याचिका पर सुनवाई की थी। ये याचिका घोटाले के आरोपी अनवर ढेबर और अनिल टुटेजा ने लगाई थी। इसमें डिस्टलरी कंपनियों को भी आरोपी बनाने की मांग थी। इसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया था। पहले जानिए किन कंपनियों को नोटिस जारी किया गया है ये डिस्टलरीज बीजेपी सरकार में भी शराब सप्लाई कर रहीं- अब जानिए कांग्रेस ने इस पर क्या कहा- बीजेपी का पलटवार आबकारी विभाग के अफसर का क्या कहना है कांग्रेस सरकार में इन कंपनियों के पास थी शराब की जिम्मेदारी अब जानिए क्या है पूरा मामला ? दरअसल, शराब घोटाला केस में अनवर ढेबर ने शराब कंपनियों को भी आरोपी बनाने की मांग की थी। उनका कहना था कि, ED ने खुद कहा है कि, शराब निर्माताओं ने 1200 करोड़ कमाए तो फिर ED उन्हें क्यों बचा रही है? 3 शराब डिस्टलरी को आरोपी बनाने का आवेदन कोर्ट ने स्वीकार भी कर लिया है। इस आवेदन में भाटिया वाइन एंड मर्चेट प्राइवेट लिमिटेड, छत्तीसगढ़ डिस्टलरीज और वेलकम डिस्टलरीज फर्म और उनके मालिक के साथ अन्य लोगों को आरोपी बनाने की मांग है। शराब मुहैया करवाकर की कमाई EOW की चार्जशीट के मुताबिक, कारोबारी अनवर ढेबर ने फरवरी 2019 में सिंडिकेट के गठन के लिए मीटिंग की। इसमें छत्तीसगढ़ डिस्टलरी से नवीन केडिया, भाटिया वाइंस प्राइवेट लिमिटेड से भूपेंदर पाल सिंह भाटिया और प्रिंस भाटिया, वेलकम डिस्टलरी से राजेंद्र जायसवाल उर्फ चुन्नू जायसवाल के साथ हीरालाल जायसवाल और नवीन केडिया के संपर्क अधिकारी संजय फतेहपुरिया शामिल हुए थे। सिंडिकेट गठन के बाद शराब सप्लाई की जिम्मेदारी तीनों डिस्टलरी के संचालकों को मिली थी। इन डिस्टलरी संचालकों को ए पार्ट (असली होलोग्राम वाली शराब) और बी पार्ट (नकली होलोग्राम वाली शराब) सप्लाई करनी थी। शराब सप्लाई करने के एवज में सिंडिकेट ने इन डिस्टलरीज से कमीशन लिया। आरोप है कि, अपना कारोबार बढ़ाने और पैसा कमाने की चाहत में नवीन केडिया, भूपेंदर पाल सिंह भाटिया और प्रिंस भाटिया और राजेंद्र जायसवाल के साथ हीरालाल जायसवाल कमीशन देने के लिए तैयार हो गए। इस तरह से कमीशन और सप्लाई का सिस्टम बनाया था सिंडिकेट ने इन तीनों डिस्टलरी संचालकों ने A पार्ट (असली होलोग्राम) और B पार्ट (नकली होलोग्राम) की शराब सप्लाई की। इसके जरिए लिकर स्कैम करने में सिंडिकेट की मदद की। EOW की टीम ने जांच के दौरान इन डिस्टलरी संचालकों के खिलाफ साक्ष्य बरामद किए हैं। EOW के अनुसार, सिंडिकेट को सप्लाई एवज करने के बदले डिस्टलरी संचालक 2019-20 में प्रति पेटी 75 रुपए और 2020-23 तक प्रति पेटी 100 रुपए कमीशन दिया करते थे। इस कमीशन के बदले सिंडिकेट ने उन्हें पूरे प्रदेश में A पार्ट और B पार्ट की सप्लाई की जिम्मेदारी दी थी। A, B और C कैटेगरी में बांटकर किया गया घोटाला A: डिस्टलरी संचालकों से कमीशन 2019 में डिस्टलरी संचालकों से प्रति पेटी 75 रुपए और बाद के सालों में 100 रुपए कमीशन लिया जाता था। कमीशन को देने में डिस्टलरी संचालकों को नुकसान ना हो, इसलिए नए टेंडर में शराब की कीमतों को बढ़ाया गया। साथ ही फर्म में सामान खरीदी करने के लिए ओवर बिलिंग करने की राहत दी गई। B: नकली होलोग्राम वाली शराब को सरकारी दुकानों से बिकवाना डिस्टलरी मालिक से ज्यादा शराब बनवाई। नकली होलोग्राम लगाकर सरकारी दुकानों से बिक्री करवाई गई। नकली होलोग्राम मिलने में आसानी हो, इसलिए एपी त्रिपाठी के माध्यम से होलोग्राम सप्लायर विधु गुप्ता को तैयार किया गया। होलोग्राम के साथ ही शराब की खाली बोतल की जरूरत थी। खाली बोतल डिस्टलरी पहुंचाने की जिम्मेदारी अरविंद सिंह और उसके भतीजे अमित सिंह को दी गई। C: डिस्टलरीज की सप्लाई एरिया को कम/ज्यादा कर अवैध धन उगाही करना देशी शराब को CSMCL के दुकानों से बिक्री करने के लिए डिस्टलरीज के सप्लाई एरिया को सिंडिकेट ने 8 जोन में विभाजित किया। इन 8 जोन में हर डिस्टलरी का जोन निर्धारित होता था। 2019 में सिंडिकेट की ओर से टेंडर में नई सप्लाई जोन का निर्धारण प्रतिवर्ष कमीशन के आधार पर किया जाने लगा।

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