छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में जेल में बंद रिटायर्ड IAS अनिल टुटेजा की जमानत याचिका पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने इस मामले में अनिल टुटेजा को जमानत दे दी है। कोर्ट ने टुटेजा को पासपोर्ट जमा कराने और सुनवाई के दौरान अदालत के साथ सहयोग करने सहित सख्त शर्तों के के तहत जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है। मंगलवार को जमानत आवेदन पर सुनवाई जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की बैंच में हुई है। अनिल टुटेजा को ED के केस में राहत मिली है लेकिन शराब घोटाले मामले में EOW की जांच कर रही है। इस केस में वो जेल में बंद हैं, ऐसे में वे जमानत के बाद भी जेल से बाहर नहीं आ पाएंगे। टुटेजा ने 1 साल की सजा काटी ली कोर्ट ने जमानत देते कहा कि 2 अप्रैल, 2025 के आदेश को चुनौती नहीं दी गई है। आज तक, संज्ञान लेने का कोई आदेश नहीं है। अपीलकर्ता ने लगभग एक साल की कैद काट ली है। इस मामले में 20 से अधिक आरोपी हैं और 30 से अधिक लोगों की गवाहों का हवाला दिया गया है।” पीठ ने कहा, “इस मामले में अधिकतम सात साल की कैद की सजा हो सकती है। इसलिए सेंथिल बालाजी फैसले में इस अदालत द्वारा निर्धारित सिद्धांत लागू होगा। इसके अलावा, इसी तरह की स्थिति में, इस अदालत ने 12 फरवरी, 2025 के आदेश द्वारा एक सह-आरोपी को जमानत दे दी है। वही इस आधार पर टुटेजा की जमानत मंजूर किया गया है। ED के वकील ने जमानत में विरोध में दिया ये तर्क ED की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि अनिल टुटेजा एक वरिष्ठ अधिकारी रहे हैं। जो बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। उन्होंने कोर्ट में टुटेजा पर नागरिक आपूर्ति निगम घोटाले में भी शामिल होने का आरोप लगाया और कहा कि वे गवाहों को प्रभावित करने और साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ करने के लिए सक्षम है। पद में रहते हुए भी उन्होंने ऐसा किया था। ऐसे में उन्हें जमानत नहीं दी जाए। क्या है छत्तीसगढ़ का शराब घोटाला छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले में ED जांच कर रही है। ED ने ACB में FIR दर्ज कराई है। दर्ज FIR में 2 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा के घोटाले की बात कही गई है। ED ने अपनी जांच में पाया कि तत्कालीन भूपेश सरकार के कार्यकाल में IAS अफसर अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के एमडी AP त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर के सिंडिकेट के जरिए घोटाले को अंजाम दिया गया था।
