केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ संसद के इसी मानसून सत्र में महाभियोग प्रस्ताव लाया जाएगा। प्रस्ताव लाने के लिए 100 से ज्यादा सांसदों ने पहले ही एक नोटिस पर हस्ताक्षर किए हैं, जो लोकसभा में महाभियोग प्रस्ताव लाने की जरूरी सीमा से ज्यादा हैं। रविवार को सर्वदलीय बैठक के बाद रिजिजू ने कहा- हस्ताक्षर प्रक्रिया चल रही है और यह पहले ही 100 से ज्यादा हो चुकी है। प्रस्ताव कब पेश किया जाएगा यह कार्य मंत्रणा समिति (कार्यदलों का ग्रुप जो अपने-अपने सदनों में एजेंडा को अंतिम रूप देता है) को तय करना है। उन्होंने कहा- न्यायपालिका में भ्रष्टाचार एक अत्यंत संवेदनशील और गंभीर मामला है, क्योंकि न्यायपालिका ही वह जगह है जहां लोगों को न्याय मिलता है। अगर न्यायपालिका में भ्रष्टाचार है, तो यह सभी के लिए एक गंभीर चिंता का विषय है। इसलिए यशवंत वर्मा को हटाने के प्रस्ताव पर सभी राजनीतिक दलों के हस्ताक्षर होने चाहिए। दरअसल, जस्टिस वर्मा के लुटियंस स्थित बंगले पर 14 मार्च की रात 11:35 बजे आग लगी थी। इसे अग्निशमन विभाग के कर्मियों ने बुझाया था। घटना के वक्त जस्टिस वर्मा शहर से बाहर थे। 21 मार्च को कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि जस्टिस वर्मा के घर से 15 करोड़ कैश मिला था। काफी नोट जल गए थे। जस्टिस वर्मा को दोषी माना गया 22 मार्च को सीजेआई संजीव खन्ना ने जस्टिस वर्मा पर लगे आरोपों की इंटरनल जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी बनाई। पैनल ने 4 मई को CJI को अपनी रिपोर्ट सौंपी। इसमें जस्टिस वर्मा को दोषी ठहराया गया था। रिपोर्ट के आधार पर ‘इन-हाउस प्रोसीजर’ के तहत CJI खन्ना ने सरकार से जस्टिस वर्मा को हटाने की सिफारिश की थी। जांच समिति में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू, हिमाचल हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस जीएस संधवालिया और कर्नाटक हाईकोर्ट की जज जस्टिस अनु शिवरामन थीं। 18 जुलाई: जस्टिस वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की 18 जुलाई को जस्टिस यशवंत वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। उन्होंने इन-हाउस कमेटी की रिपोर्ट और महाभियोग की सिफारिश रद्द करने का अनुरोध किया। उनका तर्क है कि उनके आवास के बाहरी हिस्से में नकदी बरामद होने मात्र से यह साबित नहीं होता कि वे इसमें शामिल हैं। क्योंकि आंतरिक जांच समिति ने यह तय नहीं किया कि नकदी किसकी है या परिसर में कैसे मिली। समिति के निष्कर्षों पर सवाल उठाते हुए उनका तर्क दिया कि ये अनुमान पर आधारित है। याचिका में जस्टिस वर्मा का नाम नहीं है, बल्कि सुप्रीम कोर्ट डायरी में इसे ‘XXX बनाम भारत सरकार व अन्य’ के टाइटल से दर्ज किया गया है। उन्होंने अपनी याचिका में 5 सवाल के जवाब मांगे हैं, साथ ही 10 तर्क दिए हैं, जिनके आधार पर जांच समिति की रिपोर्ट रद्द करने की मांग और महाभियोग की सिफारिश रद्द करने का अनुरोध किया गया है। जस्टिस वर्मा ने याचिका में कहा है कि नोटों की बरामदगी पर समिति को इन 5 सवालों के जवाब देने चाहिए थे- जस्टिस वर्मा के मुताबिक, रिपोर्ट में इन सवालों के जवाब नहीं हैं, इसलिए उनके खिलाफ कोई दोष नहीं लगाया जा सकता। याचिका में जस्टिस वर्मा के 10 तर्क… कांग्रेस बोली- पूर्व CJI ने लेटर लिखकर सांसदों को कदम उठाने को मजबूर किया कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने भी 18 जुलाई को कहा था कि उस समय (जब मामला सामने आया) के मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को चिट्ठी भेजकर सांसदों को यह कदम उठाने को मजबूर किया। रमेश ने कहा था- ये प्रस्ताव महाभियोग नहीं, बल्कि 1968 के जजेज (इन्क्वायरी) एक्ट के तहत जांच समिति गठित करने के लिए है। यह समिति जांच कर रिपोर्ट देगी और फिर संसद में कार्रवाई होगी। विपक्ष जस्टिस शेखर यादव का मामला भी उठाएगा
रमेश ने यह भी दोहराया कि विपक्ष जस्टिस शेखर यादव के मामले को भी जोर से उठाएगा, जिन पर सांप्रदायिक भाषण देने का आरोप है। उनके खिलाफ पिछले दिसंबर में राज्यसभा में 55 सांसदों ने प्रस्ताव दिया था, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। समझिए जस्टिस वर्मा का कैश कांड क्या है जस्टिस वर्मा के लुटियंस स्थित बंगले पर 14 मार्च की रात 11:35 बजे आग लगी थी। इसे अग्निशमन विभाग के कर्मियों ने बुझाया था। घटना के वक्त जस्टिस वर्मा शहर से बाहर थे। 21 मार्च को कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि जस्टिस वर्मा के घर से 15 करोड़ कैश मिला था। काफी नोट जल गए थे। 22 मार्च को सीजे आई संजीव खन्ना ने जस्टिस वर्मा पर लगे आरोपों की इंटरनल जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी बनाई। पैनल ने 4 मई को CJI को अपनी रिपोर्ट सौंपी। इसमें जस्टिस वर्मा को दोषी ठहराया गया था। रिपोर्ट के आधार पर ‘इन-हाउस प्रोसीजर’ के तहत CJI खन्ना ने सरकार से जस्टिस वर्मा को हटाने की सिफारिश की थी। जांच समिति में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू, हिमाचल हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस जीएस संधवालिया और कर्नाटक हाईकोर्ट की जज जस्टिस अनु शिवरामन थीं। जांच रिपोर्ट 19 जून को सामने आई थी
कैश केस की जांच कर रहे सुप्रीम कोर्ट के पैनल की रिपोर्ट 19 जून को सामने आई थी। 64 पेज की रिपोर्ट में कहा गया कि जस्टिस यशवंत वर्मा और उनके परिवार के सदस्यों का स्टोर रूम पर सीक्रेट या एक्टिव कंट्रोल था। 10 दिनों तक चली जांच में 55 गवाहों से पूछताछ हुई और जस्टिस वर्मा के आधिकारिक आवास का दौरा किया गया था। रिपोर्ट में कहा गया था कि आरोपों में पर्याप्त तथ्य हैं। आरोप इतने गंभीर हैं कि जस्टिस वर्मा को हटाने के लिए कार्यवाही शुरू करनी चाहिए। 55 लोगों के बयान दर्ज; गवाह, किसने क्या कहा समिति ने 55 गवाहों के बयान दर्ज किए। इनमें दिल्ली फायर सर्विस के 11, दिल्ली पुलिस के 14, CRPF के 6, जस्टिस वर्मा के घरेलू व कोर्ट स्टाफ के 18 लोग, जस्टिस वर्मा व उनकी बेटी आदि शामिल हैं। रिपोर्ट की 5 बड़ी बातें… जस्टिस वर्मा के खिलाफ मानसून सत्र में महाभियोग लाने की तैयारी
जस्टिस वर्मा को हटाने के लिए केंद्र सरकार ने संसद में प्रस्ताव लाने की तैयारी शुरू कर दी है। इसके लिए लोकसभा सांसदों के साइन जुटाए जा रहे हैं। न्यूज एजेंसी PTI के मुताबिक, कई सांसदों के दस्तखत लिए जा चुके हैं। इससे संकेत मिल रहा है कि प्रस्ताव लोकसभा में लाया जा सकता है। लोकसभा में महाभियोग प्रस्ताव लाने के लिए कम से कम 100 सांसदों के साइन जरूरी होते हैं। वहीं, राज्यसभा में यह संख्या 50 सांसदों की होती है। अब तक कितने सांसदों ने साइन किए हैं, उसकी जानकारी नहीं मिल पाई है। संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने 4 जून को बताया था कि जस्टिस वर्मा को हटाने का प्रस्ताव 21 जुलाई से शुरू हो रहे मानसून सत्र में लाया जाएगा। जस्टिस वर्मा फिलहाल इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज हैं। दिल्ली हाईकोर्ट से उनका ट्रांसफर कर दिया गया था। हालांकि, उन्हें किसी भी तरह का न्यायिक कार्य सौंपने पर रोक है। ———————————————— मामले से जुड़ी यह खबर भी पढ़ें… ‘मुझे कोई जला नोट नहीं दिखा’, क्या ये दलील जस्टिस वर्मा को बचा पाएगी; 3 जज कैसे करेंगे इन्वेस्टिगेशन सुप्रीम कोर्ट ने 65 सेकेंड का जो वीडियो जारी किया, उसमें नोटों की गड्डियां सुलगती दिख रही हैं, लेकिन जस्टिस यशवंत वर्मा ने अपनी सफाई में कहा है कि उन्होंने या उनके परिवार के किसी सदस्य ने जली हुई नकदी देखी ही नहीं। उनका कहना है कि वीडियो देखकर वे खुद हैरान रह गए। पूरी खबर पढ़ें…
