रायपुर समेत प्रदेश के कई जिलों में देर रात से रुक-रूककर तेज बारिश हो रही है। इस बीच मौसम विभाग ने आज मध्य छत्तीसगढ़ के जिलों में भारी बारिश का रेड अलर्ट जारी किया है। वहीं उत्तर और दक्षिण छत्तीसगढ़ के जिलों में भी भारी बारिश का दौर जारी रह सकता है। बारिश के कारण शहर के कई इलाकों में जल भराव हो गया है। सड़कों पर नालियों का पानी आ गया है। मौसम विभाग ने रायपुर, दुर्ग, महासमुंद, बलौदाबाजार, गरियाबंद, धमतरी, बालोद, बेमेतरा, कबीरधाम में ऑरेज अलर्ट जारी किया है। वहीं बिलासपुर और बस्तर संभाग के जिलों में यलो अलर्ट है। पिछले 24 घंटों में सरगुजा और बिलासपुर संभाग के अधिकांश जगहों पर पानी बरसा। सरगुजा में पॉश कॉलोनी से लेकर निचली बस्तियों में पानी भर गया। अंबिकापुर के कुंडला सिटी में दो से तीन फीट तक पानी भर जाने से रोड पर खड़ी कई कार आधी डूब गईं। घरों में भी पानी घुस गया। बिलासपुर में उफान पर अरपा, घरों में घुसा पानी बिलासपुर में रविवार दिनभर हुई बारिश से निचली कॉलोनियों में पानी भर गया। शहर के पुराना बस स्टैंड, मिशन अस्पताल रोड, सरकंडा सहित कई इलाके पानी में डूबे रहे। अरपा नदी उफान पर है। उससे सटे निचले इलाकों में पानी घरों में घुस रहा है। लोग घरों में कैद होकर रह गए हैं। निगम प्रशासन ने दावे किए थे कि इस बार जलभराव की नौबत नहीं आएगी, लेकिन हकीकत कुछ और ही नजर आ रही है। बिलासपुर में आफत की बारिश- गरियाबंद में डूब गए खेत रायपुर, दुर्ग, धमतरी, गरियाबंद, बेमेतरा, बालोद रविवार देर रात से ही रुक-रुककर बारिश हो रही है। गरियाबंद जिले के राजिम-फिंगेश्वर क्षेत्र में भी लगातार बारिश से खेतों में पानी भर गया है। बलरामपुर में तेज बारिश से पुल बहा बलरामपुर के गेरांव स्थित बांस झर्रा में पुल बहने से बड़मार क्षेत्र का संपर्क कई गांव से कट गया । मार्ग पर आना जाना बंद हो गया है। इलाके में लगातार बारिश से नदी-नाले उफान पर हैं। छत्तीसगढ़ में बारिश की बात करें तो 1 जून से अब तक 243.4 मिमी औसत बारिश रिकॉर्ड की गई है। बीजापुर जिले में सबसे ज्यादा 382 मिमी बारिश और बेमेतरा जिले में सबसे कम 81.5 मिमी सबसे कम पानी गिरा है। आने वाले समय में मूसलाधार बारिश की उम्मीद है। बारिश से जुड़ी ये तस्वीरें देखिए… लंबा रह सकता है मानसून मानसून के केरल पहुंचने की सामान्य तारीख 1 जून है। इस साल 8 दिन पहले यानी 24 मई को ही केरल पहुंच गया था। मानसून के लौटने की सामान्य तारीख 15 अक्टूबर है। अगर इस साल अपने नियमित समय पर ही लौटता है तो मानसून की अवधि 145 दिन रहेगी। इस बीच मानसून ब्रेक की स्थिति ना हो तो जल्दी आने का फायदा मिलता सकता है। बारिश की और तस्वीरें देखिए जानिए इसलिए गिरती है बिजली दरअसल, आसमान में विपरीत एनर्जी के बादल हवा से उमड़ते-घुमड़ते रहते हैं। ये विपरीत दिशा में जाते हुए आपस में टकराते हैं। इससे होने वाले घर्षण से बिजली पैदा होती है और वह धरती पर गिरती है। आकाशीय बिजली पृथ्वी पर पहुंचने के बाद ऐसे माध्यम को तलाशती है जहां से वह गुजर सके। अगर यह आकाशीय बिजली, बिजली के खंभों के संपर्क में आती है तो वह उसके लिए कंडक्टर (संचालक) का काम करता है, लेकिन उस समय कोई व्यक्ति इसकी परिधि में आ जाता है तो वह उस चार्ज के लिए सबसे बढ़िया कंडक्टर का काम करता है। जयपुर में आमेर महल के वॉच टावर पर हुए हादसे में भी कुछ ऐसा ही हुआ। आकाशीय बिजली से जुड़े कुछ तथ्य जो आपके लिए जानना जरूरी आकाशीय बिजली से जुड़े मिथ
