महाराष्ट्र के स्कूलों में हिंदी अनिवार्य करने का फैसला रद्द:कक्षा 1-5वीं तक तीसरी लैंग्वेज बनाया था, सरकार ने तीन भाषा नीति पर आदेश वापस लिए

महाराष्ट्र सरकार ने रविवार को तीन भाषा नीति से जुड़े अपने 16 और 17 अप्रैल को जारी दो आदेश (GR) रद्द कर दिए। सरकार के इस आदेश के खिलाफ विपक्ष लगातार विरोध कर रहा था। इसके तहत सरकार ने इसी साल अप्रैल में कक्षा 1 से 5वीं तक तीसरी भाषा के तौर पर हिंदी को अनिवार्य करने का आदेश जारी किया था। CM देवेंद्र फडणवीस और दोनों डिप्टी सीएम ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। CM ने कहा- तीन भाषा नीति को लेकर शिक्षाविद नरेंद्र जाधव की अध्यक्षता में कमेटी बनाई गई है। इसके रिपोर्ट के बाद ही हिंदी की भूमिका पर अंतिम फैसला लिया जाएगा। फडणवीस ने पूर्व CM उद्धव ठाकरे पर आरोप लगाते हुए कहा- CM रहते उद्धव ठाकरे ने कक्षा 1 से 12 तक तीन भाषा नीति शुरू करने के लिए डॉ. रघुनाथ माशेलकर समिति की सिफारिशों को स्वीकारा था। साथ ही नीति लागू करने पर समिति गठित की थी। 30 जून से महाराष्ट्र में विधानसभा का मानसून सत्र शुरू हो रहा है। इससे एक दिन पहले ये घोषणा की गई है। इधर, हिंदी भाषा विवाद को लेकर उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे ने 5 जुलाई को मुंबई में संयुक्त रैली निकालने की बात भी कही थी। जिसे सरकार के फैसले के बाद रद्द कर दिया गया। दरअसल, महाराष्ट्र सरकार ने इसी साल 16 अप्रैल में हिंदी को तीसरी अनिवार्य भाषा बना दिया था। कक्षा 1 से 5वीं तक पढ़ने वाले स्टूडेंट्स तीसरी भाषा के तौर पर हिंदी के अलावा भी दूसरी भारतीय भाषाएं चुन सकते हैं। विरोध के बाद 17 जून को संशोधित आदेश जारी किया था, जिसमें हिंदी को ऑप्शनल बनाया गया। सरकार के फैसले पर किसने क्या कहा… MNS चीफ राज ठाकरे: शिवसेना सांसद संजय राउत: उद्धव बोले- हिंदी के खिलाफ नहीं, पर इसे थोपना सही नहीं शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा था कि महायुति सरकार का फैसला राज्य में ‘लैंग्वेज इमरजेंसी’ घोषित करने जैसा है। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी पार्टी हिंदी के भाषा के रूप में विरोध नहीं करती, लेकिन महाराष्ट्र में इसे थोपने के खिलाफ है। उन्होंने कहा था ऐसा करके महायुति अपनी राजनीति के लिए मराठी और हिंदी भाषी लोगों के बीच ‘सद्भाव को जहर देना’ चाहती है। उद्धव ने आगे कहा कि शिवसेना (यूबीटी) सरकार के फैसले के खिलाफ अपना विरोध तब तक जारी रखेगी, जब तक कि इसे वापस नहीं ले लिया जाता। राज ठाकरे बोले- सरकार को मालूम हो, महाराष्ट्र क्या चाहता है उधर, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे ने 26 जून को कहा कि हमारी पार्टी एक रैली निकालेगी। सरकार को पता होना चाहिए कि महाराष्ट्र क्या चाहता है। महाराष्ट्र को अपनी पूरी ताकत दिखानी चाहिए। मैं अन्य राजनीतिक दलों से भी बात करूंगा। यह महाराष्ट्र में मराठी के महत्व को कम करने की साजिश है। जब उनसे पूछा गया कि क्या वह शिवसेना (यूबीटी) के नेताओं को भी विरोध प्रदर्शन में शामिल होने के लिए आमंत्रित करेंगे तो ठाकरे ने कहा कि सभी राजनीतिक दलों से संपर्क किया जाएगा। महाराष्ट्र किसी भी लड़ाई से बड़ा है। हालांकि, ठाकरे के इस जवाब के अगले दिन यानी 27 जून (शुक्रवार) को दोनों पार्टियां में संयुक्त रैली निकालने पर सहमति बन गई है। पवार बोले- बच्चों पर अतिरिक्त भाषाओं का बोझ डालना सही नहीं एनसीपी (शरद गुट) प्रमुख शरद पवार ने 26 जून को कहा था- महाराष्ट्र में कक्षा 1 से हिंदी अनिवार्य नहीं की जानी चाहिए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अगर कोई नई भाषा शुरू की जानी है, तो उसे कक्षा 5 के बाद ही शुरू किया जाना चाहिए। पवार ने कहा, कक्षा 5 के बाद हिंदी शुरू किए जाने पर कोई आपत्ति नहीं है। देश का एक बड़ा वर्ग हिंदी बोलता है और इस भाषा को पूरी तरह से नजरअंदाज करने का कोई कारण नहीं है।” हालांकि, पवार ने कहा कि छोटे बच्चों पर अतिरिक्त भाषाओं का बोझ डालना उचित नहीं है। महाराष्ट्र में भाषा विवाद क्या है, 4 पॉइंट ………………………. भाषा विवाद से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… शाह बोले- किसी विदेशी भाषा का विरोध नहीं: हिंदी सभी भारतीय भाषाओं की सखी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को नई दिल्ली में राजभाषा विभाग के कार्यक्रम में कहा- किसी भी भाषा का विरोध नहीं है। किसी विदेशी भाषा से भी कोई विरोध नहीं करना चाहिए। हिंदी सभी भारतीय भाषाओं की सखी है। हिंदी और सभी भारतीय भाषाएं मिलकर हमारे आत्मगौरव के अभियान को उसकी मंजिल तक पहुंचा सकती हैं। पढ़ें पूरी खबर…

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