बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस के खिलाफ विरोध तेज हो गया है। विपक्षी दलों, सरकारी कर्मचारियों, शिक्षकों और यहां तक कि सेना के बीच भी नाराजगी बढ़ती जा रही है। इसी बीच ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस (DMP) ने राजधानी के केंद्र में सभी रैलियों, विरोध प्रदर्शनों और जनसभाओं पर अनिश्चितकालीन प्रतिबंध लगा दिया है। वहीं, ढाका पुलिस ने मोहम्मद यूनुस के आधिकारिक निवास ‘जमुना गेस्ट हाउस’ और बांग्लादेश सचिवालय के आसपास के एरिया को पूरी तरह सील कर दिया है। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है। जब सचिवालय में काम करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों ने सरकार के एक अध्यादेश के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। DMP कमिश्नर एसएम सज्जात अली ने बताया कि यह प्रतिबंध “सार्वजनिक व्यवस्था और अंतरिम प्रमुख सलाहकार मोहम्मद यूनुस की सुरक्षा” के लिए लगाया गया है। इससे पहले 10 मई को भी सरकार ने सीमा सुरक्षा बल (BGB) और पुलिस की SWAT टीमों को सरकारी इमारतों की सुरक्षा में लगाया था। ईद के बाद फिर भड़क सकते हैं प्रदर्शन फिलहाल ईद की छुट्टियों के कारण विरोध थोड़े समय के लिए थम गया है, लेकिन सरकारी कर्मचारियों ने 15 जून तक मांगें पूरी नहीं होने पर देशभर के सरकारी दफ्तरों में बड़े आंदोलन की चेतावनी दी है। बांग्लादेश सचिवालय अधिकारी-कर्मचारी एकता मंच के सह-अध्यक्ष नुरुल इस्लाम ने कहा कि आंदोलन और उग्र होगा। सेना और BNP भी नाराज, शिक्षकों हड़ताल पर अगस्त 2024 से सत्ता में आई मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार को पहले ही विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) चुनावी समयसीमा तय करने की मांग को लेकर घेर रही है। सेना प्रमुख वाकर-उज-जमान भी दिसंबर 2025 तक चुनाव करवाने की सलाह दे चुके हैं। वहीं यूनुस ने अप्रैल 2026 में चुनाव कराने का संकेत दिया है, जिससे उनकी सत्ता में बने रहने की मंशा पर संदेह गहराया है। सरकारी कर्मचारियों के साथ-साथ देशभर के हजारों प्राथमिक स्कूल शिक्षक भी वेतन बढ़ोतरी समेत कई मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं। जल्द इस्तीफा भी दे यूनुस बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के चीफ एडवाइजर डॉ. मोहम्मद यूनुस इस्तीफा देने पर विचार कर रहे हैं। उन्हें लगता है कि राजनीतिक दलों के बीच आम सहमति नहीं बन पाने के कारण काम करना मुश्किल हो रहा है। BBC बांग्ला सर्विस ने 21 मई देर रात छात्र नेतृत्व वाली नेशनल सिटिजन पार्टी (NCP) के प्रमुख एनहिद इस्लाम के हवाले से यह जानकारी दी थी। इस्लाम ने BBC बांग्ला को बताया, ‘हम आज सुबह से ही सर (यूनुस) के इस्तीफे की खबर सुन रहे हैं। इसलिए मैं इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए उनसे मिलने गया था। उन्होंने कहा कि वह इस बारे में सोच रहे हैं। यूनुस ने आशंका जताई है कि जब तक राजनीतिक दल सहमति नहीं बना लेते, वह काम नहीं कर पाएंगे।’ म्यांमार सीमा पर गलियारा बनाने को लेकर सरकार-सेना में टकराव दरअसल, बांग्लादेश में म्यांमार सीमा पर रखाइन जिले में मानवीय गलियारा बनाने की कथित योजना को लेकर सेना और सरकार आमने-सामने है। बांग्लादेश के विदेश सलाहकार तौहीद हुसैन ने घोषणा की थी कि अंतरिम सरकार ने अमेरिका की तरफ से प्रस्तावित रखाइन कॉरिडोर पर सहमति व्यक्त कर दी है। जब यह बात सेना को पता चली तो उनकी तरफ से नाराजगी जताई गई। आर्मी चीफ वकार ने बुधवार को इसे खूनी कॉरिडोर बताया और अंतरिम सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि बांग्लादेश की सेना कभी भी किसी ऐसी गतिविधि में शामिल नहीं होगी जो संप्रभुता के लिए हानिकारक हो। न ही किसी को ऐसा करने की इजाजत दी जाएगी। इसके बाद यूनुस सरकार ने यू-टर्न लेते हुए कहा कि उन्होंने किसी भी देश के साथ म्यांमार सीमा पर रखाइन कॉरिडोर को लेकर समझौता नहीं किया है। शेख हसीना ने 5 अगस्त को PM पद से इस्तीफा दिया था शेख हसीना पिछले साल 5 अगस्त को देश छोड़कर भारत आ गई थीं। दरअसल, उनके खिलाफ देशभर में छात्र प्रदर्शन कर रहे थे। बांग्लादेश में 5 जून को हाईकोर्ट ने जॉब में 30% कोटा सिस्टम लागू किया था, इस आरक्षण के खिलाफ ढाका में यूनिवर्सिटीज के स्टूडेंट्स प्रोटेस्ट कर रहे थे। यह आरक्षण स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों को दिया जा रहा था। हालांकि हसीना सरकार ने यह आरक्षण बाद में खत्म कर दिया था। लेकिन इसके बाद छात्र उनके इस्तीफे की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन करने लगे। बड़ी संख्या में छात्र और आम लोग हसीना और उनकी सरकार के खिलाफ सड़क पर उतर आए। इस प्रोटेस्ट के दो महीने बाद 5 अगस्त को उन्होंने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद अंतरिम सरकार की स्थापना की गई। —————————- बांग्लादेश से जुड़ी ये खबरें भी पढ़ें… म्यांमार को तोड़ अलग स्टेट बनाना चाहते हैं बांग्लादेशी नेता, आजाद रोहिंग्या स्टेट के लिए चीन से मदद मांगी बांग्लादेश के जमात-ए-इस्लामी पार्टी के नेताओं ढाका में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) के नेताओं के साथ बैठक में म्यांमार के रोहिंग्या बहुल इलाके में एक आजाद रोहिंग्या स्टेट बनाने का प्रस्ताव रखा था। जमात के नेताओं ने यह प्रस्ताव 27 अप्रैल को दिया था। एक्सपर्ट ने आशंका जताई है कि अगर इस प्रस्ताव पर सहमति बन जाती है तो इससे भारत के सित्तवे पोर्ट को खतरा हो सकता है। पूरी खबर पढ़ें…
