पीएम मोदी का श्रीलंका में तोपों की सलामी से स्वागत:राष्ट्रपति दिसानायके से मिलने पहुंचे; दोनों के बीच द्विपक्षीय मुलाकात होगी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी श्रीलंका के तीन दिन के दौरे पर हैं। शनिवार सुबह पीएम मोदी श्रीलंकाई राष्ट्रपति अनुरा कुमार दिसानायके से मिलने पहुंचे हैं। यहां उनका रेड कार्पेट पर तोपों को सलामी और गार्ड ऑफ ऑनर से स्वागत किया गया है। वे कल रात थाईलैंड दौरे के बाद श्रीलंका पहुंचे थे। यात्रा के दूसरे दिन आज पीएम मोदी की श्रीलंकाई प्रधानमंत्री हरिनी अमरसूर्या से भी मुलाकात होगी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मोदी श्रीलंकाई राष्ट्रपति के साथ मुलाकात में तमिल समुदाय को ज्यादा अधिकार देने की मांग उठा सकते हैं। इसके अलावा दोनों रक्षा और आर्थिक मामलों पर चर्चा करेंगे। साथ ही पिछले साल हुए द्विपक्षीय समझौते को अंतिम रूप देंगे। इस दौरान उनके बीच मछुआरों और श्रीलंका में रहने वाले तमिल नागरिकों से जुड़े मुद्दे पर बात हो सकती है। पीएम मोदी का यह तीसरा श्रीलंका दौरा है। इससे पहले वे 2015 और 2019 में श्रीलंका का दौरा कर चुके हैं। श्रीलंका को लोन चुकाने में राहत दे सकता है भारत भारत ने श्रीलंका को दिसंबर 2024 तक लगभग 5 बिलियन अमेरिकी डॉलर की लाइन्स ऑफ क्रेडिट और ग्रांट सहायता दी है। लोन रिस्ट्रक्चर में कर्ज लेने वाला श्रीलंका, भारत के साथ कर्ज की शर्तों में बदलाव- जैसे कि ब्याज दरों को कम करना, कर्ज चुकाने की अवधि बढ़ाना या फिर कुछ मामलों में कर्ज का एक हिस्सा माफ करने की मांग कर सकता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दोनों नेता बिजली, रेलवे और अन्य क्षेत्रों में ऐसी कई परियोजनाओं की शुरुआत भी करेंगे जो श्रीलंका में भारत के सहयोग से चल रही हैं। PM मोदी देश के और भी कई नेताओं से मिल सकते हैं। उम्मीद की जा रही है कि मोदी और दिसानायके ऐतिहासिक शहर अनुराधापुरा भी जाएंगे और वहां स्थित महाबोधि मंदिर के दर्शन करेंगे। यहां के महाबोधि पेड़ को उस बोधि पेड़ का अंश माना जाता है जिसके नीचे महात्मा बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। इस पेड़ के 2,300 साल से भी ज्यादा पुराना होने के दावे किए जाते हैं। भारतीय मछुआरों के मुद्दे पर बात कर सकते हैं पीएम मोदी भारत और श्रीलंका के बीच मछुआरों से जुड़ा मुद्दा एक संवेदनशील और लंबे समय से चला आ रहा विवाद है, जो मुख्य रूप से पारंपरिक मछली पकड़ने के अधिकारों और समुद्री सीमा उल्लंघन से जुड़ा है। तमिलनाडु और श्रीलंका के मछुआरे पाक जलडमरूमध्य और मन्नार की खाड़ी में मछली पकड़ते हैं। यह इलाका समुद्री जैव विविधता से भरपूर है, लेकिन भारत और श्रीलंका की समुद्री सीमाएं निर्धारित हैं, और इनका उल्लंघन करना अंतरराष्ट्रीय अपराध माना जाता है। अक्सर तमिलनाडु के मछुआरे मछली पकड़ने के लिए श्रीलंकाई जल क्षेत्र में घुस जाते हैं। विवाद के मुख्य कारण… 1. पारंपरिक रूप से मछली पकड़ने का दावा: भारत के मछुआरे कहते हैं कि वे सदियों से इन जल क्षेत्रों में मछली पकड़ते आ रहे हैं, और यह उनका पारंपरिक अधिकार है। 2. कच्चाथीवू द्वीप: भारत और श्रीलंका के बीच 1974 में एक समझौता हुआ था जिसमें कच्चाथीवू द्वीप श्रीलंका को दिया गया, और दोनों देशों की समुद्री सीमाएं तय की गईं। लेकिन मछुआरे आज भी उस पर सवाल उठाते हैं। 3. ट्रॉलर का इस्तेमाल: भारतीय मछुआरे मोटर से चलने वाले ट्रॉलरों का इस्तेमाल करते हैं। श्रीलंका के मछुआरे इसका विरोध करते हैं क्योंकि इससे उनकी आजीविका पर असर पड़ता है। 4. श्रीलंकाई नौसेना की कार्रवाई: जब भारतीय मछुआरे श्रीलंकाई जल सीमा में प्रवेश करते हैं, तो उन्हें श्रीलंकाई नौसेना गिरफ्तार कर लेती है। उनकी नावें जब्त कर ली जाती हैं, और कई बार हिंसा की घटनाएं भी होती हैं। श्रीलंका में तमिल समुदाय के अधिकार बढ़ाने की मांग कर सकते हैं मोदी 29 जुलाई 1987 को भारत और श्रीलंका की सरकारों के बीच एक समझौता हुआ था। इसमें श्रीलंका ने वादा किया था कि वो देश के तमिलों को संविधान के 13वें संशोधन के तहत तमाम अधिकार देगा। समझौते में यह कहा गया था कि 13वें संशोधन के तहत स्टेट काउंसिल बनाई जाएंगी और इनमें तमिलों को भी संख्या के आधार पर जगह दी जाएगी। हालांकि इस समझौते को अब तक लागू नहीं किया गया है। इस वजह से तमिल श्रीलंका की सत्ता और सिस्टम का हिस्सा नहीं बन पाए हैं। इसके चलते श्रीलंका के तमिल लोगों में नाराजगी है। करीब तीन साल पहले श्रीलंका की सात तमिल पार्टियों के नेताओं ने पीएम मोदी को एक लेटर लिखकर कहा था कि भारत सरकार श्रीलंका सरकार के आगे उनका मुद्दा उठाए। सौमपुरा सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट पर मिलकर काम कर रहे भारत-श्रीलंका श्रीलंका के त्रिंकोमली जिले में भारत और श्रीलंका के बीच सहयोग से सौमपुरा सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट को विकसित किया जा रहा है। भारतीय कंपनी एनटीपीसी (NTPC) और श्रीलंका की सीलोन इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड (CEB) इस प्रोजेक्ट पर मिलकर काम कर रही हैं। सौमपुरा श्रीलंका के त्रिंकोमली जिले में स्थित है, जो लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम यानी LTTE के प्रभाव वाले क्षेत्रों में शामिल था। 2006 तक सौमपुरा LTTE के नियंत्रण में था। जब श्रीलंकाई सेना ने सैन्य कार्रवाई कर इसे वापस लिया, तो कई तमिल परिवार विस्थापित हुए, और विवाद शुरू हुआ कि उस जमीन का उपयोग कैसे किया जाए। पहले भारत और श्रीलंका ने मिलकर यहां कोयला आधारित बिजली परियोजना लगाने की योजना बनाई थी, लेकिन तमिल संगठनों और स्थानीय लोगों ने इसका विरोध किया। उनका कहना था कि यह पर्यावरण को नुकसान पहुंचाएगी। साथ ही उन्होंने कहा कि यह जमीन विस्थापित तमिल परिवारों की है और यहां उन्हें वापस बसाया जाना चाहिए।

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