पीएम नरेंद्र मोदी बुधवार को 5 देशों की यात्रा पर जा रहे हैं। सबसे पहले वे घाना पहुंचेंगे। यह किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री की तीन दशक में पहली घाना यात्रा है। इससे पहले 1957 पंडित नेहरू और 1995 में पीएम नरसिम्हा राव घाना के दौरे पर पहुंचे थे। घाना में पीएम मोदी राष्ट्रपति जॉन महामा से मिलेंगे। दोनों नेता द्विपक्षीय व्यापार और रिश्तों पर चर्चा करेंगे। इस दौरान एनर्जी, खेती और डिजिटल तकनीक और वैक्सीन हब डेवलप करने के क्षेत्र में कई समझौते (MoU) साइन होंगे। भारत का UPI और डिजिटल पेमेंट सिस्टम घाना में लाने के बारे में भी बातचीत होगी, ताकि दोनों देशों में डिजिटल लेन-देन आसान हो सके। मोदी और महामा एक साथ जॉइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस भी करेंगे। पीएम मोदी घाना की संसद और वहां रहने वाले भारतीय समुदाय के 15000 लोगों को संबोधित करेंगे। घाना के राष्ट्रपति महामा पीएम मोदी के सम्मान में स्टेट डिनर भी आयोजित करेंगे। कोविड काल में भारत ने घाना को 6 लाख वैक्सीन दी भारत और घाना अंतरराष्ट्रीय मंचों पर एक-दूसरे के मजबूत समर्थक रहे हैं। दोनों देश गुटनिरपेक्ष आंदोलन (NAM) के सदस्य हैं और संयुक्त राष्ट्र जैसे संगठनों में मिलकर काम करते हैं। घाना ने भारत की संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता के दावे का समर्थन किया है। जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद और अन्य वैश्विक मुद्दों पर दोनों देश एक-दूसरे के साथ खड़े रहते हैं। कोविड-19 महामारी के दौरान भारत ने घाना को वैक्सीन और चिकित्सा मदद दी थी। भारत ने घाना को 6 लाख कोविड वैक्सीन दी थी। गांधी के आदर्शों पर चलकर मिली घाना को आजादी क्वामे एन्क्रूमा घाना के सबसे बड़े नेता थे, जिन्हें ‘अफ्रीका का महात्मा गांधी‘ भी कहा जाता है। उन्होंने अमेरिका में पढ़ाई के दौरान गांधीजी के विचार पढ़े और उनसे बहुत प्रभावित हुए। इसके बाद घाना आकर उन्होंने कन्वेंशन पीपुल्स पार्टी (CPP) बनाई और देश में आजादी की लड़ाई शुरू की। एन्क्रूमा ने इसके लिए अहिंसा, एकता और नागरिक अवज्ञा जैसे गांधीवादी तरीकों का इस्तेमाल किया। एन्क्रूमा का मानना था कि बिना हिंसा के ब्रिटिश शासन के खिलाफ शांतिपूर्ण आंदोलन चलाकर ही घाना आजाद हो सकता है, जैसा गांधी ने भारत में किया था। एन्क्रूमा ने 1950 में ‘पॉजिटिव एक्शन’ नाम से देशभर में हड़ताल की अपील की। इसके लिए उन्हें जेल भी जाना पड़ा, लेकिन इससे उनकी लोकप्रियता और बढ़ गई। 6 मार्च 1957 को एन्क्रूमा की अगुआई में घाना अफ्रीका का पहला देश बना जिसने ब्रिटेन से आजादी हासिल की। घाना की आजादी का असर पूरे अफ्रीका पर पड़ा। लिहाजा बाकी देशों में भी आजादी की मांग तेज हो गई। कुछ ही साल बाद नाइजीरिया, केन्या, तंजानिया जैसे कई देशों ने ब्रिटिश, फ्रेंच या बेल्जियन उपनिवेशवाद से स्वतंत्रता हासिल की।
