छत्तीसगढ़ के धमतरी में भगवान जगन्नाथ की 108वीं रथयात्रा का आयोजन किया गया। जगदीश मंदिर से शुरू हुई यह यात्रा विंध्यवासिनी मंदिर के पास गौशाला मैदान जनकपुर में समाप्त हुई। डेढ़ किलोमीटर की इस यात्रा में हजारों श्रद्धालु शामिल हुए। रथ खींचने के लिए युवाओं की टोली ने विशेष योगदान दिया। यात्रा के दौरान रास्ते भर भक्तों को गजा मूंग का प्रसाद वितरित किया गया। धमतरी में 118 साल पुरानी यह परंपरा देश की आजादी से पहले से चली आ रही है। इस वर्ष के उत्सव की तैयारियां 22 जून से शुरू हुईं। 25 जून तक भक्तों को काढ़े का वितरण किया गया। 26 जून को नेत्रोत्सव मनाया गया। वैदिक रीति-रिवाज के साथ प्रतिमाओं की पुनः प्राण-प्रतिष्ठा की गई। 27 जून को पूजा-अर्चना और आरती के बाद महाप्रभु जगन्नाथ को रथ में विराजमान किया गया। धमतरी का यह सबसे बड़ा धार्मिक पर्व है। आसपास के गांवों से हजारों श्रद्धालु इसमें शामिल होते हैं। विवाह के बाद भी कई बेटियां इस रथयात्रा में शामिल होने के लिए धमतरी आती हैं। यात्रा के दौरान भजनों की धुन पर भक्त झूमते रहे और रास्ते भर पुष्प वर्षा की गई। धमतरी में 118 साल पुरानी परंपरा के साथ निकली भव्य रथयात्रा जगदीश मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष किरण गांधी ने बताया कि इस बार 2025 में रथयात्रा का 108वां आयोजन बेहद भव्य तरीके से संपन्न हुआ। पहले यह रथयात्रा बैलगाड़ी पर निकाली जाती थी, लेकिन अब रथ विशेष रूप से तैयार किया जाता है। इस ऐतिहासिक आयोजन में धमतरी सहित आसपास के गांवों से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु भगवान जगन्नाथ के दर्शन करने पहुंचे। हर साल की तरह इस बार भी गजक का विशेष प्रसाद तैयार किया गया, जिसकी मात्रा इस बार 1000 किलो से अधिक रही। यह प्रसाद भक्तों में प्रेमपूर्वक वितरित किया गया। जगह-जगह पुष्पवर्षा कर भगवान का स्वागत किया भक्तों ने बताया कि भगवान जगन्नाथ को कलयुग के साक्षात प्रभु माना जाता है और उनके रथ का जिस घर के सामने से गुजरना होता है, उसे सौभाग्यशाली माना जाता है। रथयात्रा के दौरान जगह-जगह पुष्पवर्षा कर भगवान का स्वागत किया गया। श्रद्धालुओं का कहना है कि जगन्नाथ जी के प्रति आस्था और लगाव बेहद गहरा है। गौरतलब है कि सन् 1965 में जगदीश मंदिर ट्रस्ट द्वारा पहला रथ बनवाया गया था। तब से लेकर अब तक हर साल यह आयोजन और भी भव्य रूप लेता जा रहा है। ट्रस्ट का दावा है कि धमतरी की रथयात्रा छत्तीसगढ़ की सबसे बड़ी और आकर्षक रथयात्राओं में से एक है, जिसे देखने प्रदेश के अन्य जिलों से भी लोग पहुंचते हैं।
