छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के डॉ. स्मित श्रीवास्तव ने दुनिया में टाकायासु बीमारी की पहली सर्जरी की है। यह एक जापानी बीमारी है, जो भारतीयों में भी पाई जाती है। इस हार्ट सर्जरी को सफलतापूर्वक करने के बाद अब वे देश के दूसरे सर्जनों को अपनी सर्जरी की तकनीक सिखाते हैं। इसके अलावा, अंबेडकर अस्पताल के ICU प्रमुख डॉ. ओपी सुंदरानी ने भी काम के दौरान आने वाली मुश्किलों के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि, कैसे मौत के मुंह से मरीजों को बाहर निकालने का काम कोविड के दौर में किया है। नेशनल डॉक्टर्स-डे पर पढ़िए रायपुर के दो सीनियर डॉक्टर्स की कहानी, उन्हीं की जुबानी। सबसे रेयर सर्जरी सरकारी अस्पताल में हुई साल 2021 में अंबेडकर अस्पताल के एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट के सेंटर प्रमुख डॉ. स्मित श्रीवास्तव ने जगदलपुर की 23 वर्षीय लड़की का ताकायासु आर्टेराइटिस बीमारी का इलाज किया था। दुनिया में इससे पहले इसकी सर्जरी हुई ही नहीं थी। टकायासु या ताकायासु धमनीशोथ का पहला मामला 1908 में जापानी नेत्र रोग विशेषज्ञ मिकिटो ताकायासु ने जापान नेत्र विज्ञान सोसाइटी की वार्षिक बैठक में बताया था। उन्हीं के नाम पर इस बीमारी का नामकरण किया गया। पेरेंट्स से मिली डॉक्टर बनने की इंस्पिरेशन डॉ स्मित ने बताया कि, मेरे पिता डॉक्टर और मां टीचर थीं। उन दोनों से ही इंस्पायर होकर मैं डॉक्टर और टीचर दोनों बना। मेडिकल कॉलेज में स्टूडेंट्स को वो सब सिखाने का प्रयास रहता है, जो कुछ हम सीख और समझ पा रहे हैं। एक पिता का शुक्रिया आज भी याद है डॉ. स्मित बताते हैं कि, हमने एक लड़की के दिल में छेद का इलाज किया था। बगैर चीरा लगाए हमने यह ऑपरेशन किया था। कई सालों बाद उसके पिता मुझे मिले। उन्होंने कहा कि आपने दो बार मेरी बेटी की जिंदगी बचाई है। आपने बिना चीरे के सर्जरी की तो उसकी शादी में कोई दिक्कत नहीं आई। डॉ. स्मित ने बताया कि हमारे काम का इस तरह सामाजिक असर देखकर उस दिन अच्छा लगा था। मरीज को मौत के मुंह से बचाकर लाए रायपुर के अंबेडकर अस्पताल के ICU चीफ डॉ. ओपी सुंदरानी हैं। हर रोज यहां बुरी से बुरी अवस्था में मरीज पहुंचते हैं। डॉ सुंदरानी बताते हैं कि, यहां मरीज के आते ही उन्हें हर जरूरी सहायता मिलती है। चाहे दवाएं, हों इक्यूपमेंट हों या अनुभवी डॉक्टर। एक किस्सा उन्होंने बताया जब छत्तीसगढ़ की एक बड़ी प्रभावशाली हस्ती अस्पताल में लाई गई। डॉ. सुंदरानी कहते हैं कि, वो देश के किसी भी महंगे से महंगे अस्पताल में जा सकते थे, लेकिन उन्होंने हम पर भरोसा किया। उनकी हालत खराब थी, रिस्क था मगर हमने उन्हें स्वस्थ्य करके भेजा। 15 से 20 लाख की सर्जरी फ्री में डॉ. स्मित और डॉ. सुंदरानी ने सरकारी अस्पताल के उस परसेप्शन पर भी बात की, जहां आम आदमी यह सोचता है कि यहां इलाज अच्छा नहीं होगा। डॉ. स्मित ने बताया कि, हार्ट से जुड़ी सर्जरी काफी महंगी होती हैं। हम हमारे सेंटर में शासन की योजनाओं की वजह से मरीज को यह सेवाएं नि:शुल्क दे पाते हैं। ऐसी सर्जरी यहां फ्री में होती हैं, जो प्राइवेट संस्थानों में 15 से 20 लाख में होती है। डॉ. सुंदरानी ने कहा कि, सभी डॉक्टर्स एक साथ ही पढ़े होते हैं। जो कॉर्पोरेट में हैं, उन्होंने भी वही सीखा जाना है, जो हमने। दवाएं, इलाज करने का तरीका और मशीन सब सेम इस्तेमाल होता है। बस लोगों को अपनी सोच को बदलना होगा। सरकारी अस्पताल में हर वो जरूरी चीज है, जो मरीज की जिंदगी को बचाने के लिए जरूरी है। हमारा काम भी यही है। हर हाल में हमारे पास आए लोग ठीक हो जाएं। डॉक्टर्स कैसे खुद को बीमारियों से बचाते हैं ? क्या डॉक्टर्स के पास कोई ट्रिक होती है, जो वो खुद को बीमारियों से बचा सके। ये पूछे जाने पर डॉ. स्मित श्रीवास्तव ने कहा कि, हम घंटों तक एक्स-रे और रेडिएशन के बीच काम करते हैं। हमें कैंसर होने का खतरा होता है। बावजूद इसके कोशिश करते हैं कि शरीर को स्वस्थ्य रखा जाए तो खान-पान का ध्यान देते हैं। हर रोज 60 मिनट शरीर के लिए सभी को निकालना चाहिए। इसमें आप योग, एक्सरसाइज, रनिंग, वॉकिंग करें खुद को समय दें तो स्वास्थ्य भी अच्छा रहेगा। क्यों मनाते हैं डॉक्टर्स डे ? नेशनल डॉक्टर्स डे देश के प्रसिद्ध डॉक्टर और पश्चिम बंगाल के दूसरे मुख्यमंत्री डॉ. बिधान चंद्र रॉय के सम्मान में मनाया जाता है। 1 जुलाई 1882 को बिहार की राजधानी पटना के बांकीपुर में जन्मे डॉक्टर बिधान चंद्र रॉय 5 भाई-बहनों में सबसे छोटे थे। 1909 में रॉय ने पढ़ाई के लिए इंग्लैंड जाने का फैसला किया, लेकिन विद्रोही बंगाल का होने की वजह से उन्हें वहां एडमिशन देने में आनाकानी की जाने लगी। इंग्लैंड से अपनी पढ़ाई पूरी कर 1911 में रॉय भारत लौटे। इस दौरान वे गांधी जी के संपर्क में आए और असहयोग आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। गांधी जी से जुड़ा उनका एक किस्सा प्रसिद्ध है। 1933 में उपवास के दौरान गांधी जी ने दवाएं लेने से मना कर दिया था। तब रॉय बापू से मिले और दवाएं लेने की गुजारिश की। गांधी जी उनसे बोले, मैं तुम्हारी दवाएं क्यों लूं? क्या तुमने हमारे देश के 40 करोड़ लोगों का मुफ्त इलाज किया है? इस पर रॉय ने जवाब दिया, नहीं, गांधी जी, मैं सभी मरीजों का मुफ्त इलाज नहीं कर सकता। मैं यहां मोहनदास करमचंद गांधी को ठीक करने नहीं आया हूं, मैं उन्हें ठीक करने आया हूं जो मेरे देश के 40 करोड़ लोगों के प्रतिनिधि हैं। इस पर गांधी जी ने उनसे मजाक करते हुए कहा कि तुम मुझसे थर्ड क्लास वकील की तरह बहस कर रहे हो। वे 1948 से 1962 तक अपने निधन तक लगातार 14 साल पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री रहे। 1961 में उन्हें भारत सरकार ने भारत रत्न से सम्मानित किया। 1991 में सरकार ने घोषणा की कि 1 जुलाई को हर साल नेशनल डॉक्टर्स डे मनाया जाएगा। तब से हर साल 1 जुलाई को पूरे देश में डॉक्टर्स डे मनाया जाता है।
