जशपुर पुलिस ने ‘ऑपरेशन शंखनाद’ के तहत दो अलग-अलग कार्रवाई में 37 गौवंशों को तस्करों से मुक्त कराया है। एक आरोपी को गिरफ्तार कर न्यायिक रिमांड पर जेल भेजा गया है। सिटी कोतवाली पुलिस को 30 जून को सूचना मिली। कुछ व्यक्ति किनकेल और हाथीसार के जंगलों से होकर गौवंशों को झारखंड ले जा रहे थे। पुलिस अधीक्षक शशि मोहन सिंह के निर्देश पर टीम तुरंत रवाना हुई। मौके पर 21 गौवंशों को बेरहमी से पीटकर ले जाया जा रहा था। पुलिस की घेराबंदी देख तस्कर जंगल में भाग गए। पुलिस ने तस्करों की पहचान कर ली है। सभी गौवंशों को बचाकर पशु चिकित्सकों की देखरेख में उपचार कराया जा रहा है। मामले में छत्तीसगढ़ कृषक पशु परिरक्षण अधिनियम 2004 और पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 के तहत केस दर्ज किया गया है। ‘ऑपरेशन शंखनाद’ के तहत अब तक 1100 से अधिक गौवंशों को बचाया जा चुका है। इस अभियान में 128 तस्करों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है। गौ-तस्करी करते एक आरोपी गिरफ्तार, 16 गौ-वंशों को बचाया गया 2 जुलाई की सुबह लगभग 4 बजे, मनोरा पुलिस को मुखबिर से सूचना मिली कि कुछ लोग बोरोकोना के जंगल मार्ग से गौवंशों को पीटते हुए झारखंड की ओर ले जा रहे हैं। पुलिस ने ग्राम खरवाटोली के जंगल में घेराबंदी की और मौके पर एक आरोपी गजिंदर लोहारा (38 वर्ष), निवासी गोविंदपुर, थाना जारी, जिला गुमला (झारखंड) को हिरासत में लिया। उसके पास से 16 गौवंशों को भी सकुशल बरामद किया गया। पूछताछ में गजिंदर ने खुलासा किया कि वह ग्राम लोधमा निवासी अफसर खान के कहने पर यह कार्य कर रहा था। पुलिस इस मामले में अन्य संलिप्त व्यक्तियों की तलाश में भी जुटी है। गजिंदर लोहारा के विरुद्ध भी पशु परिरक्षण अधिनियम और पशु क्रूरता निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत अपराध दर्ज कर, उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। एसएसपी शशि मोहन सिंह ने बताया कि ऑपरेशन शंखनाद के तहत पुलिस ने फिर एक बार 37 गौवंशों को तस्करी से बचाया गया है। एक आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है और अन्य आरोपियों की भी पहचान कर ली गई है।उन्होंने स्पष्ट किया कि गौ तस्करी के खिलाफ यह अभियान बिना रुके, बिना झुके, जारी रहेगा।
