नक्सल संगठन के बड़े नेताओं की मौजूदगी की खबर के चलते हजारों जवानों ने बीजापुर-तेलंगाना की सरहद पर मौजूद कर्रेगुट्टा की पहाड़़ को घेरा हुआ है। ऑपरेशन को शुरू हुए पांच दिन हो गये हैं। फोर्स के अंदरूनी सूत्रों, स्थानीय ग्रामीणों से मिले इनपुट के आधार पर अनुमान लगाया जा रहा है कि बड़े नेता यहां से जा चुके हैं। अब पुलिस पार्टियों को वापस बुलवाने का सिलसिला भी शुरू हो चुका है। पिछले पांच दिनों में पहाड़ के ऊपर से कोई विशेष हलचल नक्सलियों की ओर से नहीं की गई है। इसके अलावा जो आईईडी ब्लास्ट भी हुए हैं, वो पहाड़ के निचले हिस्से में लगाये गये थे। इन्ही आईईडी का जिक्र नक्सलियों ने कुछ समय पहले अपने प्रेस नोट में भी किया था और इस ओर ग्रामीणों को आने से मना किया था। संभवत: फोर्स जब यहां पहुंची है तो वो इन आईईडी को नष्ट कर रही है और जो आईईडी ब्लास्ट की आवाजें दूर तक आ रही हैं, वो इसी प्रक्रिया की हिस्सा है। कर्रेगुट्टा पहाड़ पर 140+ घंटे से जारी है सर्चिंग ऑपरेशन इधर दैनिक भास्कर ने जब इलाके के अलग-अलग ग्रामीणों से बातचीत की तो ज्यादातर ने दावा किया कि पहाड़ों की ओर से कोई गोलीबारी नहीं हो रही है। पहाड़ के निचले हिस्से से फोर्स की ओर से ही गोलीबारी की जा रही है। गांव के लोगों ने दावा किया है कि पहाड़ के अलग-अलग हिस्से को निशाना बनाकर फोर्स की ओर से भारी गोलीबारी की जा रही है। जिन स्थानों पर फोर्स ने ऑपरेशन चलाया हुआ है, उन स्थानों पर बाहरी लोगों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया गया है।
लोकेशन ट्रेस होने के डर से फायरिंग नहीं
जिस कर्रेगुट्टा के पहाड़ पर नक्सली छिपे हैं, उसकी ऊंचाई 5 हजार फीट से ज्यादा है। नक्सलियों को पता है कि भरी गर्मी में यदि जवान पहाड़ चढ़ भी जाते हैं तो उनके पास लड़ने क्षमता बेहद कम बचेगी। ऐसे में यदि वे पहाड़ों के ऊपर से नीचे की ओर फायरिंग करेंगे तो उनकी लोकेशन ट्रेस हो जाएगी। नक्सली मुठभेड़ के लिए हथियार बचा रहे
यदि नक्सली पहाडों पर मौजूद हैं और उनकी ओर से कोई फायरिंग नहीं हो रही है। इसके पीछे का बड़ा कारण यह भी है कि नक्सली असलहा बचाना चाहते है और जब जवानों ने निर्णायक तौर पर आमने-सामने की स्थिति बने, तब वे पूरी ताकत से लड़ना चाहते हैं। फोर्स की खबर मिलते ही नक्सली हट गये?
हो सकता है कि नक्सलियों को फोर्स के ऑपरेशन की भनक लगी हो और वे पहाड़ को घेरे जाने से पहले सुरक्षित ठिकाने तक पहुंच गये हों। अभी जंगलों में इस बात की खासी चर्चा है कि जैसे ही फोर्स ने ऑपरेशन शुरू किया था,उसके कुछ घंटों के बाद ज्यादातर नक्सली तेलंगाना के जंगलों में उतर गये थे। ऑपरेशन के साथ बैकअप में भी 2000 जवान तैनात अब पुलिस पार्टियों को वापस बुलवाने का सिलसिला भी शुरू हो चुका है। पहले जहां तीन राज्यों की फोर्स के करीब 5000 जवानों को ऑपरेशन पर रवाना किया गया था। इसके बाद करीब 2 हजार जवानों को बैक-अप पार्टी के रूप में रवाना किया गया। यहां व्यवस्था ऐसी की गई है कि बैक-अप पार्टी के जवान तैनात जवानों को रिलीव कर रहे हैं और उन्हें सुरक्षा मुहैया करवाते हुए कैंपों तक भेजा जा रहा है। जब तक वे कैंपों में आराम कर रहे हैं, तब तक बैक-अप पार्टी के जवान मोर्चा संभाले हुए हैं। ऑपरेशन के लिए बीजापुर के साथ ही सुकमा, दंतेवाड़ा, बस्तर, नारायणपुर व कोंडागांव से भी बैकअप फोर्स को इस मेगा ऑपरेशन के लिए भेजा गया था। अब दंतेवाड़ा से पहुंची डीआरजी की बैकअप फोर्स को वापस बुलवा लिया गया है। शनिवार को 60 बाइक्स पर सवार होकर दंतेवाड़ा डीआरजी के जवान, जिन्हें बैक-अप में शामिल किया गया था, वापस लौटा दिया गया। जवान अपने साथ एक या दो बोतल पानी ही लेकर जा पा रहे हैं।
