इजराइल ने ग्रेटा थनबर्ग के जहाज को कब्जे में लिया:5 बोट ने समंदर में घेरा, सभी कार्यकर्ता हिरासत में; इजराइल लेकर जा रहे

इजराइल ने स्वीडिश पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग और उनके जहाज को कब्जे में ले लिया है। सोमवार तड़के इजराइल की 5 स्पीडबोट ने जहाज को घेर लिया था। इसके बाद सैनिकों ने जहाज पर चढ़कर उसे अपने कंट्रोल में ले लिया। यह जहाज गाजा के लोगों के लिए राहत सामग्री लेकर जा रहा था। मैडलीन नाम के इस जहाज पर 12 लोग सवार हैं। सभी सेना की हिरासत में हैं। अब इस जहाज को गाजा की जगह इजराइल ले जाया जा रहा है। ग्रेटा और उनके साथियों ने वीडियो जारी आरोप लगाया है कि इजराइली सैनिकों ने उन्हें और उनके साथियों को इंटरनेशनल वॉटर्स में अगवा कर लिया है। ग्रेटा अपने साथ गाजा के लोगों के लिए दवा, अनाज, बच्चों के लिए दूध, डाइपर और वाटर प्यूरीफायर ले जा रही थी। ग्रेटा ने रिहाई के परिवार और स्वीडिश सरकार से लिए मदद मांगी ग्रेटा थनबर्ग की गाजा यात्रा से जुड़ी 5 फोटोज… थनबर्ग अपनी टीम के साथ इटली के सिसली द्वीप से 1 जून को रवाना हुई थीं। ग्रेटा ने रवाना होने से पहले बयान दिया- अगर इंसानियत में उम्मीद बची है, तो हमें फिलिस्तीन के लिए आवाज उठानी होगी। यह मिशन मुश्किल और खतरनाक हो सकता है, लेकिन गाजा में जो हो रहा है, उस पर चुप रहना उससे भी ज्यादा बुरा है। गाजा जा रहा मैडलीन मिशन क्या है? इजराइल ने 2 मार्च से गाजा में राहत सामग्री की एंट्री पर पूरी तरह रोक लगा रखी है, जिससे वहां 23 लाख लोगों में से 93% भुखमरी का सामना कर रहे हैं। दर्जनों बच्चे भूख से मर चुके हैं। मैडलीन जहाज का मकसद इन लोगों तक मदद पहुंचाना था। यह यात्रा ‘फ्रीडम फ्लोटिला संगठन’ (FFC )नाम के एक संगठन ने शुरू की थी, जो पहले भी गाजा को मदद पहुंचाने की कोशिश कर चुका है। ग्रेटा और उनका दल इजराइल की उस घेराबंदी का विरोध कर रहे हैं जो गाजा पर कई सालों से चल रही है। FFC ने इसे एक शांतिपूर्ण नागरिक प्रतिरोध बताया है। उनके मुताबिक, जहाज पर सवार सभी कार्यकर्ता और चालक दल के सदस्य अहिंसा के सिद्धांत में प्रशिक्षित हैं और यह मिशन पूरी तरह से शांतिपूर्ण है। इजराइल ने जहाज को क्यों रोका शुरुआत में इजराइल इस जहाज को गाजा में डॉक करने की अनुमति देने के लिए विचार कर रहा था, बशर्ते कि यह सुरक्षा के लिए कोई सुरक्षा खतरा न बने। लेकिन बाद में इजराइल सरकार ने अपना फैसला बदल लिया। इजराइल का तर्क था कि अगर एक बार मैडलीन जैसे जहाज को मंजूरी दी गई, तो आगे चलकर इस तरह की कोशिशों को बढ़ावा मिलेगा। इससे इजराइल के समुद्री प्रतिबंध कमजोर पड़ सकते हैं और अंतरराष्ट्रीय दबाव भी बढ़ सकता है। इसलिए इजराइल पहले ही कह चुका था कि इस जहाज को गाजा तट से पहले ही रोक दिया जाएगा। इससे पहले भी FCC के कॉन्साइंस नाम के जहाज ने मई 2025 में एक और कोशिश की थी। हालांकि, इजराइल ने उसे परमिशन नहीं दी थी। टाइम्स ऑफ इजराइल की रिपोर्ट के मुताबिक इजराइल ने ब्रिटेन से गाजा की ओर आ रहे जहाज को रोकने की अपील की थी। हालांकि ब्रिटेन ने ऐसा करने से इनकार कर दिया है। एक अधिकारी के मुताबिक ब्रिटेन ने इजराइल से इन यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने को कहा है। 17 साल से गाजा को घेरे हुए है इजराइल इजराइल ने गाजा पट्टी 17 साल से नाकेबंदी कर रखी है। साल 2007 में जब हमास ने गाजा पर पूरी तरह से नियंत्रण हासिल कर लिया था, तो इजराइल ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए गाजा की समुद्री सीमाओं, हवाई रास्तों और भूमि सीमाओं पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए। इजराइल ने गाजा की समुद्री सीमाओं पर एक नौसैनिक घेरा बना रखा है। इसका मतलब यह है कि कोई भी जहाज या नाव बिना इजराइल की अनुमति के गाजा के समुद्र तक नहीं पहुंच सकती। इजराइल का कहना है कि यह नाकेबंदी उसकी सुरक्षा के लिए जरूरी है। अगर इसमें ढील दी गई, तो हमास जैसे आतंकी गुट समुद्र के रास्ते हथियार ला सकते हैं और इजराइली नागरिकों को खतरे में डाल सकते हैं। कई बार इजराइली नाकेबंदी तोड़ने की कोशिश हुई 2007 से अब तक कई बार मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और सहायता समूहों ने इस नाकेबंदी को तोड़ने की कोशिश की है, लेकिन इजराइली नौसेना ने उन्हें रोक दिया या पकड़ लिया। साल 2010 में ‘फ्रीडम फ्लोटिला’ नाम का नावों काफिला गाजा की तरफ जा रहा था, जिसमें सहायता सामग्री थी और इसमें कई अंतरराष्ट्रीय कार्यकर्ता सवार थे। इजराइली नौसेना ने अंतरराष्ट्रीय पानी में इस पर हमला कर दिया था जिसमें 10 लोग मारे गए थे। इसे लेकर इजराइल की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी आलोचना हुई थी। गाजा में 20 लाख लोगों पर भुखमरी का संकट गाजा इस समय गंभीर मानवीय संकट से गुजर रहा है। अक्टूबर 2023 से शुरू हुए इजराइली हमलों में अब तक 54,600 से ज्यादा फिलिस्तीनी मारे जा चुके हैं। इनमें से बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे शामिल हैं। 20 लाख से अधिक लोगों को भूख, दवाइयों और पीने के पानी की किल्लत झेलनी पड़ रही है। अंतरराष्ट्रीय सहायता एजेंसियों ने चेतावनी दी है कि अगर हालात नहीं बदले तो गाजा में भुखमरी की स्थिति और गंभीर हो सकती है। हाऊ डेयर यू भाषण से लोकप्रिय हुई थीं थनबर्ग ग्रेटा थनबर्ग पर्यावरण को बचाने के लिए दुनियाभर में जानी जाती हैं। साल 2018 में जब वो सिर्फ 15 साल की थीं, उन्होंने स्कूल जाना छोड़ दिया और हर शुक्रवार स्वीडन की संसद के बाहर अकेले बैठने लगीं। उनके हाथ में एक तख्ती होती थी जिस पर लिखा था – “जलवायु के लिए स्कूल हड़ताल”।धीरे-धीरे दुनिया के कई बच्चों ने उनका साथ देना शुरू कर दिया और यह आंदोलन ‘Fridays For Future’ के नाम से दुनिया में फैल गया। साल 2019 में ग्रेटा ने संयुक्त राष्ट्र की बैठक में उन्होंने दुनिया के नेताओं को फटकार लगाई थी। उन्होंने गुस्से में कहा – “हाऊ डेयर यू?” यानी “आपकी हिम्मत कैसे हुई?”ग्रेटा ने कहा कि बड़े-बड़े वादों की वजह से बच्चों का बचपन और उनके सपने बर्बाद हो रहे हैं। ग्रेटा का यह भाषण बहुत फेमस हुआ और वे युवाओं के लिए एक मिसाल बन गईं। ग्रेटा खुद भी पर्यावरण का ध्यान रखती हैं। वो हवाई यात्रा नहीं करतीं और मांसाहार से दूर रहती हैं। उन्हें 2019 में ‘टाइम पर्सन ऑफ द ईयर’ का सम्मान भी मिल चुका है। ————————————– गाजा से जुड़ी यह खबर भी पढ़ें….. अमेरिका ने गाजा में सीजफायर प्रस्ताव पर वीटो लगाया:कहा- इजराइल को अपनी रक्षा करने का हक; 14 देशों ने जंग रोकने के लिए वोट किया अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के गाजा में युद्धविराम कायम करने वाले प्रस्ताव पर वीटो लगा दिया है। UNSC में बुधवार को इसके लिए वोटिंग हुई जिसमें 15 में से 14 देशों ने गाजा में युद्ध विराम के पक्ष में वोटिंग की। पूरी खबर यहां पढ़ें…

More From Author

मॉर्निंग न्यूज ब्रीफ:कोरोना केस 6000 पार, 65 मौतें; मणिपुर में प्रदर्शनकारियों ने खुद पर पेट्रोल डाला; कोलंबिया- राष्ट्रपति उम्मीदवार को नाबालिग ने गोली मारी

मोदी सरकार 3.0 को आज 1 साल पूरा:मोदी बोले- महिलाओं की लीडशिप से विकास की परिभाषा बदली; नड्डा भाजपा मुख्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *