इजराइल ने गाजा में नए उग्रवादी संगठन को समर्थन दिया:हमास का मुकाबला करने के लिए हथियार भी दिए, नेतन्याहू बोले- इसमें कोई बुराई नहीं

इजराइल सरकार पर गंभीर आरोप लगे हैं कि उसने गाजा में हमास का मुकाबला करने के लिए एक फिलिस्तीनी मिलिशिया को हथियार दिए हैं। गाजा में हमास का पिछले 2 दशक से कब्जा है। इजराइल तमाम कोशिशों के बावजूद हमास का पूरी तरह से खात्मा नहीं कर पाया है। न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक इजराइल ने गाजा में हमास को खत्म करने की जिम्मेदारी ‘पॉपुलर फोर्सेज’ को दी है। इसका लीडर यासर अबू शबाब है। अबू शबाब खुद को ‘आतंकवाद को मिटाने वाला’ कहता है, लेकिन कई मानवाधिकार संगठन इसे लुटेरों और अपराधियों का नेता मानते हैं। इजराइल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने भी पिछले सप्ताह माना था कि उन्होंने गाजा में हमास को कमजोर करने के लिए उनके विरोधी संगठनों को अपना समर्थन दिया है। नेतन्याहू ने कहा कि अगर इससे इजराइली सैनिकों की जान बचती है, तो इसमें क्या गलत है। हमास की कैद में था अबू शबाब, जेल से फरार हुआ रिपोर्ट्स के मुताबिक अबू शबाब एक समय छोटे अपराधों में लिप्त था। कुछ साल पहले हमास की पुलिस ने उसे चोरी और ड्रग्स की तस्करी के आरोप में जेल में डाल दिया था। 2023 के अंत में जब इजराइल और हमास के बीच जंग छिड़ी, तो इजराइली हवाई हमलों की आड़ में वह जेल से फरार हो गया। जेल से भागने के बाद उसने खुद का एक सशस्त्र संगठन पॉपुलर फोर्सेज मिलिशिया खड़ा कर लिया। पॉपुलर फोर्सेज मिलिशिया दक्षिणी गाजा में एक्टिव है। इसमें 100 से ज्यादा मेंबर हैं। ये लड़ाके फिलिस्तीनी झंडे और ‘काउंटर-टेररिज्म यूनिट’ के पैच वाली वर्दी पहनते हैं। इजराइली एजेंसी शिन बेट ने की प्लानिंग मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया है कि पॉपुलर फोर्सेज इजरायली सेना के नियंत्रण वाले इलाकों में काम कर रही है। इजराइल ने हमास से जब्त किए गए हथियार, जैसे कि क्लाशिनकोव (एके 47) राइफलें भी इन्हें दिए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक इस पूरी योजना को इजराइल की आंतरिक सुरक्षा एजेंसी शिन बेट ने प्लान किया था जिसे प्रधानमंत्री नेतन्याहू तथा उनके सुरक्षा अधिकारियों ने भी मंजूरी दी। इजराइली सरकार का तर्क है कि यह रणनीति इसलिए अपनाई गई ताकि हमास को कमजोर किया जा सके और इजराइली सैनिकों की जान बचाई जा सके। हालांकि इस योजना की काफी आलोचना हो रही है। पूर्व रक्षा मंत्री एविगडोर लेबरमैन ने यहां तक कह दिया कि पॉपुलर फोर्सेज, इस्लामिक स्टेट जैसे आतंकी संगठन से जुड़ा है। हालांकि इसके कोई पक्के सबूत सामने नहीं आए हैं। शबाब पर लोगों का खाना लूटने का आरोप इस वक्त जब गाजा में हालात बेहद खराब हैं और लोग भुखमरी झेल रहे हैं। ऐसे में अबू शबाब पर आरोप है कि उनका गुट उन ट्रकों को लूट रहा है जो लोगों तक मदद पहुंचाने आते हैं। यह गुट आटे, दवाओं और दूसरी जरूरी चीजों को हथियार के दम पर लूट रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यह लूट इजराइली निगरानी में हो रही है। गाजा के ट्रक ड्राइवर और उनकी यूनियनें भी अबू शबाब से डरे हुए हैं। हाल ही में जब कुछ ट्रक ड्राइवरों पर गोलीबारी हुई, तो यूनियन ने काम बंद कर दिया। हालांकि अबू शबाब ने इन आरोपों को खारिज किया है। उनका कहना है कि उन्होंने कुछ ट्रकों को जरूर रोका है, लेकिन वो ऐसा जरूरतमंदों के लिए कर रहे हैं। वे अपने परिवार और पड़ोसियों को खाना खिलाने के लिए, न कि इन चीजों को बेचने के लिए। उन्होंने उल्टे हमास पर आरोप लगाया कि असली लूटपाट वही कर रहा है। हमास ने इस आरोप से इनकार किया है। हमास ने अबू शबाब को गद्दार बताया अबू शबाब का दावा है कि उसका संगठन रफाह में स्थानीय लोगों को सुरक्षा देता है और हमास के आतंक तथा मानवीय सहायता की लूट से उन्हें बचाता है। हमास ने अबू शबाब को खुलकर इजरायल का सहयोगी और गद्दार बताया है। 2024 में हमास ने उसके संगठन के खिलाफ कई हमले किए। इसमें अबू शबाब के भाई समेत 20 लोगों की मौत हो गई थी। तब हमास ने यह दावा किया था कि उन्होंने अबू शबाब को खत्म कर दिया है। लेकिन 2025 में अबू शबाब फिर से सामने आ गया। यासर ने हाल ही में एक वीडियो मैसेज जारी किया था जिसमें उसने दावा किया कि उनका गुट पूर्वी रफा पर नियंत्रण कर चुका है। उन्होंने विस्थापित नागरिकों से इजराइली सेना की निगरानी में बने अस्थायी शिविरों में लौटने की अपील की। उसने कहा कि यहां पर उन्हें भोजन, रहने की जगह और सुरक्षा तीनों मिलेगी। अबू शबाब का समूह सोशल मीडिया पर खुद को गाजा में एक जिम्मेदार ताकत की तरह दिखाने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने वीडियो और तस्वीरों के ज़रिए दिखाया कि वे ट्रकों की सुरक्षा कर रहे हैं, लोगों को खाने और दवाइयों की मदद दे रहे हैं, और लोगों से अपील कर रहे हैं कि वे अपने घरों को लौटें क्योंकि अब इलाका सुरक्षित है। न्यूयॉर्क टाइम्स मुताबिक गाजा की मौजूदा हालत में इजराइल यह तय नहीं कर पा रहा है कि भविष्य में वहां किसका शासन हो। नेतन्याहू न तो पूरी तरह इजराइली सेना का प्रशासन चाहता है और न ही फिलिस्तीनी प्राधिकरण का समर्थन करना चाहते हैं, क्योंकि इसका मतलब होगा कि एक फिलिस्तीनी राज्य को मान्यता देनी पड़ेगी जो कि उनकी सरकार के कई मंत्रियों को मंजूर नहीं है।

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