अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ ने कहा कि अगर चीन ने जबरदस्ती ताइवान पर कब्जा करने की कोशिश की, तो इसका असर इंडो-पैसेफिक क्षेत्र और पूरी दुनिया पर पर बहुत बुरा होगा। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक हेगसेथ ने सिंगापुर में चल रही शांगरी-ला डायलॉग में कहा कि चीन एशिया में ताकत का संतुलन बिगाड़ने की तैयारी कर रहा है। रक्षा मंत्री ने चीन पर साइबर हमलों, अपने पड़ोसियों को डराने और दक्षिण चीन सागर में अवैध कब्जा करने जैसे गंभीर आरोप लगाए। हेगसेथ ने ये भी कहा कि चीन लगातार ताइवान के आसपास सैन्य अभ्यास कर रहा है, जो किसी बड़े हमले की तैयारी लगती है। हेगसेथ ने कहा कि चीन का खतरा असली है और ये कभी भी सामने आ सकता है। उन्होंने दावा किया कि चीन का मकसद 2027 तक ताइवान पर कब्जा करने का है। अमेरिका और उसके सहयोगी देश चीन की आक्रामकता का मिलकर मुकाबला करेंगे। इस साल होने वाले शांगरी-लॉ डायलॉग का उद्घाटन फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने किया।
अमेरिकी विदेश मंत्री बोले- हम यहां लंबे समय के लिए आए हैं अमेरिकी रक्षा मंत्री ने कहा कि ट्रम्प प्रशासन चीन को रोकने के लिए व्यापार और रक्षा दोनों मोर्चों पर काम कर रहा है। हेगसेथ ने कहा- हम इस क्षेत्र में शांति, स्थिरता और सुरक्षा चाहते हैं और हम यहां लंबे समय तक बने रहने के लिए आए हैं। हेगसेथ ने कहा कि अमेरिका अपने इंडो-पैसेफिक सहयोगियों के साथ मिलकर काम कर रहा है और उनकी मदद से अमेरिका इस क्षेत्र पर ज्यादा ध्यान दे सकता है। उन्होंने कहा कि अमेरिका और उसके सहयोगियों की सुरक्षा और खुशहाली एक-दूसरे से जुड़ी हुई है। अमेरिकी रक्षा मंत्री ने कहा कि ट्रम्प यूरोप के देशों को अपनी सुरक्षा के लिए ज्यादा जिम्मेदारी लेने को कह रहे हैं, जिससे अमेरिका इंडो-पैसेफिक पर ज्यादा संसाधन लगा सके। इससे अमेरिका की मजबूत मौजूदगी से सभी को फायदा मिलेगा, लेकिन ये तभी होगा जब सभी सहयोगी देश भी मजबूत होंगे। उन्होंने ये भी याद दिलाया कि राष्ट्रपति ट्रम्प के कार्यकाल में चीन ने ताइवान पर हमला नहीं किया, और ट्रम्प का मकसद भी यही है कि युद्ध न हो। मैक्रों ने रूस-चीन पर निशाना साधा शांगरी-लॉ डायलॉग का उद्घाटन पर अपने भाषण में फ्रांसीसी राष्ट्रपति मैक्रों ने यूरोप और एशिया के देशों से अपील की कि वे उन ताकतों के खिलाफ एकजुट हों जो जबरदस्ती और दबाव के जरिये अपने प्रभाव का विस्तार करना चाहती हैं। उन्होंने चीन और रूस का नाम तो नहीं लिया, लेकिन उनका इशारा साफ था। मैक्रों ने कहा कि कुछ देश दुनिया में ऐसे इलाके बनाना चाहते हैं जहां सिर्फ उन्हीं का दबदबा हो। वे समुद्र, द्वीपों और संसाधनों पर कब्जा करना चाहते हैं और दूसरों को बाहर कर देना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि ये देश यूरोप के आस-पास से लेकर दक्षिण चीन सागर तक अपना प्रभाव फैलाना चाहते हैं। मैक्रों ने चेतावनी दी कि अगर रूस को यूक्रेन पर हमला करके उसका हिस्सा हथियाने दिया गया, तो फिर ताइवान या फिलीपींस में ऐसा ही कुछ होने से कोई नहीं रोक पाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि यूक्रेन की जंग को दूर की बात समझना गलत होगा, क्योंकि अगर आज दुनिया रूस को नहीं रोक पाई, तो कल और देश भी यही करने की हिम्मत जुटा लेंगे। शांगरी ला डायलॉग में जुटे 50 से ज्यादा देशों के नेता शांगरी-ला डायलॉग एक सलाना सुरक्षा सम्मेलन है जो सिंगापुर में होता है। इसे 2002 में शुरू किया गया था। इसका नाम सिंगापुर के शांगरी-ला होटल से लिया गया है, जहां यह आयोजित होता है। यह सम्मेलन इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटेजिक स्टडीज (IISS) और सिंगापुर सरकार मिलकर आयोजित करती है। यह एक ऐसा मंच है जहां एशिया-प्रशांत क्षेत्र और दुनिया के अन्य देशों के रक्षा मंत्री, सैन्य प्रमुख, और सुरक्षा विशेषज्ञ मिलते हैं। वे क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा मुद्दों पर चर्चा करते हैं। इसमें 50 से अधिक देशों के प्रतिनिधि शामिल होते हैं। इस बैठक में चीन की तरफ से कोई बड़ा अधिकारी नहीं आया, बल्कि एक छोटा प्रतिनिधिमंडल भेजा गया। पहले इस समिट में चीन के रक्षा मंत्री आया करते थे। भारत से समिट में इस बार (2025) चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान हिस्सा ले रहे हैं। ………………………………………. चीन-ताइवान से जुड़ी यह खबर भी पढ़ें… ताइवान की आजादी मांगी तो मौत की सजा देगा चीन:अदालत और पुलिस के लिए गाइडलाइन जारी की, देश की अखंडता के लिए उठाया कदम चीन ने ताइवान की आजादी की मांग करने वाले लोगों को ‘मौत की सजा’ की धमकी दी है। गाइडलाइन में कहा गया है कि ताइवान की आजादी की मांग करने वाले नेताओं के कदम से यदि देश या जनता को किसी भी प्रकार का नुकसान होता है तो मौत की सजा दी जा सकती है। पूरी खबर यहां पढ़ें…
